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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का साम्य वैषम्य कैसा हैं, इसकी चर्चा उपरोक्त की गई हैं । आधुनिक भारत की सभ्यता में जो परिवर्तन आया हैं, इस से सामाजिक वैमनस्य बढ़ गया हैं । जो हमारी संस्कृति के विरुद्ध हैं। कालिदास के काव्यों में निर्दिष्ट स्थलों से युक्त • भारत का मानचित्र संदर्भ अर्थशास्त्र - विष्णुगुप्त, जयमङ्गल, नीतिनिर्णायपन्चटीकासमेत, संपा. श्रीविश्वनाथशास्त्री, भाग १/२ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, द्वितिय संस्करण, १९७० । कुमारसंभव - कालिदास, संपा. आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी, पंचमसंस्करण, सं. २०५४ विक्रमाब्द, उत्तरप्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ केनोपनिषद् - संपा. जगदीशलाल शास्त्री, मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी, द्वितीय संस्करण, सन १९७० तैतिरीय उपनिषद् (उपनिषद संग्रह) - संपा. जगदीशलाल शास्त्री, मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी, द्वितीय संस्करण, सन १९७० मनुस्मृति - संपा.वासुदेव ल. चौखम्बा, काशी, पंचम संस्करण, शकाब्द - १८३७ मालविकाग्निमित्र - कालिदास, संपा. आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी, पंचमसंस्करण, सं. २०५४ विक्रमाब्द, उत्तरप्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ यजुर्वेद - संपा. पं. जगदीशलाल शास्त्री, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ही, ई. १९७१, तृतीय संस्करण रघुवंश - प्रो. रेवाप्रसाद द्विवेदी, साहित्य अकादमी, दिल्ली, प्रथम संस्करण, ई. १९९३ विक्रमोर्वशीयम् - कालिदास, संपा. आचार्य पं. सीताराम चतुर्वेदी, पंचम संस्करण, सं. २०५४ विक्रमाब्द, उत्तरप्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ १०. अभिज्ञानशाकुन्तल - संपा. सुबोधचन्द्र पंत, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ही, प्रथम संस्करण, ई. १९७० 36 सामीप्य : मोटो. २००६-मार्य, २००७ For Private and Personal Use Only
SR No.535841
Book TitleSamipya 2006 Vol 23 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR P Mehta, R T Savalia
PublisherBholabhai Jeshingbhai Adhyayan Sanshodhan Vidyabhavan
Publication Year2006
Total Pages110
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Samipya, & India
File Size9 MB
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