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मानचित्र - १
मानचित्र - १
'विक्रमोर्वर्शीय' में इन्द्रसभा में एक नाटक खेले जाने का वर्णन है, जिसके लेखक तथा सूत्रधार स्वयं भरत थे। 'मालविकाग्निमित्र' में पूर्ववर्ती नाट्यकार भास, सामिलक, कविपुत्र आदि का स्मरण किया है । उस समय नृत्यकला भी बहुत उन्नत दशा में थी। मालविकाने अग्निमित्र की एक गोष्ठी में परिष्कृत नृत्य, सूक्ष्म भावाभिनय और मधुर संगीत के कुशल मिश्रण का अद्भुत दृश्य उपस्थित किया था । कौटिल्य के अर्थशास्त्र के गहन अध्ययन के कारण राजनीति - सम्बन्धी विचार से कवि बहुत प्रभावित थे । इस के अनेक प्रमाण उसके ग्रन्थों में मिलते हैं ।
कालिदास के समय में कई मंजिल के सोपानयुक्त भवन बनाये जाते थे । शिलाओं के स्तम्भों में तरह-तरह की चित्र, आकृतियों, मूर्तियाँ, फूल-पत्तियाँ आदि अंकित की जाती थीं । भवनों की दीवारों पर बड़े-बड़े चित्र बनाये जाते थे । रघुवंश के सोलहवें सर्ग में, इसी प्रकार के एक सुन्दर चित्रदृश्य का वर्णन है । उद्यानों में धारागृह भी बनाये जाते थे, जिनमें जलयन्त्र चलते थे । कालिदास के समय तक सुन्दर प्रस्तरवेदियाँ, तोरणद्वार और कलापूर्ण स्तम्भ बन चुके थे, वे आज भी पुराने भग्नावशेष के रूप में देखे जाते हैं । कालिदास ने अपने ग्रन्थों में व्याकरण, कोश, निरुक्त, कर्मकाण्ड. छन्द. ज्योतिष. दर्शन, रामायण, महाभारत, पुराण, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र, नाट्यसास्त्र, काव्य आदि का अध्ययन करके अपने साहित्य को उच्चतम बनाया है।
___ आधुनिक युग में प्रजा धार्मिक जीवन से विमुख और भगवान में श्रद्धा रहित है। भक्ति और प्रभुस्मरण में बाह्याडम्बर की प्रवृत्तियों ने अपनी जगह बना ली है। बाह्य दिखावे में ही प्रभु स्मरण की प्रवृत्ति होती है, 'मुँह में राम और बगल में छूरी' जैसा भेद चल रहा है । धार्मिक ग्रन्थों के अध्ययन के बीना सामाजिक सुसंस्कृतता का अभाव दिखाई पड़ता है। धार्मिक ग्रन्थों के अध्ययन से संस्कार, विकास, आंतरिक परिवर्तन, सामाजिक उत्थान होता है, जो आज प्रजा में दिखाई नहीं पड़ता । वात्सायन के 'कामशास्त्र' का कोई नीति-नियम समाज में उपलब्ध नहीं है, इसलिए जातीय ज्ञान के अभाव के कारण प्रजा में जातीय रोग की महामारी का आविर्भाव हुआ है।
इस प्रकार कालिदास के समय का भारत और आधुनिक भारत के बीच संस्कृति और सभ्यता
कालिदास के समय का भारत : आधुनिक भारत के परिप्रेक्ष्य में ।
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