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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી આત્માનંદ પ્રકાશ संगठनकार्यों में व्यस्त हो गये, अहमदाबाद न जा सके । काश ! दो प्रज्ञापुरुषों का यह महत्संकल्प पूरा हो पाता, तो जैन वाङ्मय निश्चय ही अपने दिव्य गौरव से पुनःमण्डित हो सकता। आगमप्रभाकरजी के दुःखद अवसान की सूचना जब कविश्रीजी को मिली तो हमने देखा, इस मृत्युदंश की पिडा को अनुभव करते हुए वे कुछ क्षण अपने ही भीतर लीन हो गए, और फीर पीडा के गरल को पीते हुए बोले-"सचमुच, वह एक महान् विभूति थी ! इतनी एकनिष्ठ श्रुत-भक्ति, तदर्थ कठोर श्रम और सत्य की तडप किसी विरले में ही मिलती है । सरलता, विनम्रता और मधुरता तो उनसे सीखने जैसी थी । आज की परिस्थितियों में उस श्रुत-तपस्वी की अत्यन्त अपेक्षा थी। किन्तु नियति तो अन्धी होती है....।" सन्मति ज्ञानपीठ परिवार उस स्व० महान् श्रुतसेवी साधक आत्मा के प्रति हृदय की असीम श्रद्धा अर्पण करता है और उनेक महान कायों की अधूरी रही परम्परा को आगे बढ़ाते जाने के लिए समस्त श्रुत-प्रेमी बन्धुओं से आशाभरी प्रार्थना करता है। उनकी अनुपस्थिति को हम ऐसे ही किसी महान संकल्प से पूरी कर सकते हैं और यही उस प्रज्ञापुरुष की सच्ची श्रद्धाञ्जलि होगी। सन्मति ज्ञानपीठ परिवार आगरा। 'श्री अमर भारती' (मासिक पत्रिका), जुलाई, १९७१ मुनि श्री पुण्यविजयजी के आकस्मिक निधन पर मनि श्री पुण्यविजयजी के स्वर्गवास का संवाद सुना तो सहसा मन में आया कि जिन लोगों को इस दुनिया में रहकर बहुत कुछ करना है, वे जल्दी क्यों चले जाते हैं ? वे श्रुतोपासना के जीवंत प्रतीक थे। उन्होंने अपना जीवन आगम-शोध के लिए समर्पित कर रखा था। उदारता, ऋजुता, गुणग्नाहकता और समन्वय उनके सहज गुण थे। वे नाम और पद-प्रतिष्ठा के प्रति अनासक्त होकर अपना काम कर रहे थे। ऐसी विरल विशेषताओं के धनी का चले जाना सचमुच एक बडी क्षति है। हमारे आगम-कार्य में उनसे प्रतियों का यथेष्ट सहयोग मिलता रहा है । जैन शासन उनके प्रति सदा कृतज्ञ रहेगा। हम सब उनकी दिवंगत आत्मा की समाधि के लिए अपना शुभ संकल्प प्रकट करते हैं। आचार्य तुलसी (जैन श्वेताम्बर तेरापथी संघ के आचार्य) लाडनू : ५ जुलाई, १९७१ "जैन भारति' साप्ताहिक, कलकत्ता, ता. १८-७-७१ For Private And Personal Use Only
SR No.531809
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 071 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha Bhavnagar
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1973
Total Pages249
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size94 MB
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