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किरण ४ ]
देवचन्द्रकृत राजावली कथा की विषय-सूची
द्वितीय प्रकरण
( ७ से १३ पृष्ठ तक) १ द्वितीय चक्रवर्ती सगर के साठ हजार पुत्र और भगीरथ प्रादि की कथा। २ अत्रि आदि ऋषियों के समय में कपिलादि के सिद्धान्तों का बाद-विवरण। ३ षड्दर्शन की उत्पत्ति एवं नैयायिक दर्शन-विषयं । ४ कणाद, मीमांसा, जैमिनि, सांख्य इन दर्शनों का विषय । ५ बौद्ध एवं चार्वाक दर्शन का विषय । ६ विष्णु कुमार मुनि के द्वारा वामनावतार ।
७ जमदग्नि परशुराम का विषय । . . सुभौमचक्रवर्ति कथा, सौरधर्म की उत्पत्ति तथा विनायक (गणेश) चतुर्थी का हेतु ... मल्लिकार्जुन पूजा का कारण और त्रिदेव के श्रेष्ठत्व की चर्चा ।
तृतीय प्रकरण
(१३ से १८ पृष्ठ तक) १ कर कण्डु की कथा, पत्थर में खुदे हुए सर्प की पूजा का कारण, वामी (सर्पविल) में पूजा-रूप में दूध-घी देने और नाग-चौथ मनाने का हेतु।
२ अनरण्य की सभा में देवता-विषयक चर्चा । ३ तीर कदम्ब की कथा, महाकालासुर एवं पर्वतक के चलाये हुए यक्ष की चर्चा। ४ राम-कथा। ५ शिशुपाल-कथा। ६ कृष्णजन्म। ७ कंसनिधन । .
चतुर्थ प्रकरण
(१८ से ३० पृष्ठ तक) १ जनमेजय राजा की कथा, चन्द्रवर्द्धन महाराज की सभा में सुघटित स्वर्धाविषयक चर्चा।
२ श्रेणिक-कथा। ३ अभय कुमार का जन्म एवं उनका कार्य । ४ वर्द्धमान स्वामी की कथा।