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________________ सिलार रट्टराज का नया शिलालेख और जैनधर्म (ले०–श्रीयुत बाबू कामता प्रसाद जैन) जैनधर्म क्षत्रियों का धर्म है। उसका प्रतिपादन और विकास क्षत्रियों द्वारा हुआ है। क्षत्रिय वंश के बड़े बड़े राजा और महाराजाओं ने उसकी शांतिकारिणी शरण में रह कर अपने नाम को अमर किया है। ऐतिहासिक काल के प्रसिद्ध सम्राट् चन्द्रगुप्त मौर्य, ऐलखारवेल, अमोघवर्ष, कुमारपाल आदि भारतीय राजा जैनधर्मानुयायी थे और वे भाज अपनी किसी न किसी विशेषता के कारण भारतीय इतिहास में अनुपम हैं। दसवीं शताब्दी में दिगम्बर जैनधर्म का प्रचार दक्षिण भारत में अच्छे पैमाने पर था। दक्षिण भारत में तब राष्ट्रकूट वंश के राजाओं की प्रधानता थी और उनको जैनधर्म से प्रेम था। दिगम्बर जैन मुनिजन राज्याश्रय को पाकर निश्चिन्तता-पूर्वक अहिंसामय धर्म का प्रचार तब कर रहे थे। किन्तु जैनधर्म का यह अभ्युदय पड़ोस के शैव लोगों को अखर गया और पारस्परिक ईर्ष्या-कलह का युद्ध छिड़ गया। ऐसे ही समय में एक सिलार वंश के राजा, जैनधर्म-भुक्त हुए थे। वह पहले शैव थे। इतिहास भी कल त कउन्हें शैव मान रहा था। किन्तु उनके नवीन लेखों के प्रकाश में आने से इस धर्मपरिवर्तन का पता चल गया है यह राजा वलिपट्टन के रट्टराज थे। सिलार रट्टराज के तीन ताम्रपत्र मिले हैं, जिनमें से एक पर दोनों ओर लेख अङ्कित है। ये ताम्रपत्र कहाँ से मिले, इसका पता नहीं चलता। हाँ, यह स्व० प्रो० एस० आर० भाण्डारकर के पास थे और अब उनके भाई प्रो० डी० आर० भाण्डारकर ने उनको श्रीयुत हारणचन्द्र चकलादार को दे दिया है । चकलादार महाशय ने उनको पढ़ लिया है और उनका परिचय एक लेख-द्वारा कराया है। यह लेख कलकत्ते के 'इन्डियन हिस्टॉरीकल क्वार्टी' नामक पत्र में (भाग ४ पृ. २०३-२२०) प्रकट हुआ है। उसी का सारांश धन्यवादपूर्वक पाठकों के अवलोकनार्थ यहां उपस्थित किया जाता है। उपलब्ध लेख में सिलार महामण्डलीक रट्टराज के भूमिदान का उल्लेख है। यह राजा दक्षिण कोडण देश के सिलारवंश से सम्बन्धित था। इसका एक पूर्व-लेख खारेपाटन से पहले मिला था, जिसे प्रो० कीलहॉर्न ने 'इपीग्रोफिया इन्डिका (भा० ३ पृष्ठ २९२) में प्रकट किया था। वह शक संवत् १३० का है और प्रस्तुत लेख, अर्थात् जो प्रो० भाण्डारकर को मिला था अथ च जिसका उल्लेख यहाँ हो रहा है, उस पर शक सं० ९३२
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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