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________________ निसिधि के सम्बन्ध में दो शब्द (ले० – प्रो० श्रीयुत ए० एन० उपाध्ये) कनड़ी और संस्कृत के अनेक जैन शिलालेखों में 'निसिधि' शब्द पाया जाता है । किन्तु उसका अक्षर - विन्यास (spelling) सर्वत्र एक सा नहीं है । कनड़ी के शिलालेखों में उसके भिन्न भिन्न रूप पायें जाते हैं यथा 'निषिदि' 'निषिधि' 'निसिदि' निसिधि' 'निसिद्धी' 'निसिधिग' और निष्टिग । ' उत्तर कर्नाटक में आजतक भी 'निसिद्दी' शब्द प्रचलित है । संस्कृत के शिलालेखों में उसके 'निषिधि' 'निषद्यका' और 'निषद्या" रूप पाये जाते हैं । इसके रूपों की विभिन्नता मूल शब्द तथा उसकी बनावट के ऊपर प्रकाश डालने के लिये किसी को भी लालायित कर सकती है । अनेक शिलालेखों के अध्ययन करने से इस शब्द का अर्थ बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है । मृत्यु के बाद बनाये जानेवाले उस ढांचे या मकान को 'निषद्या' कहते हैं जो संभवतः उस स्थान पर बनाया जाता था जहाँ किसी पूज्य साधु ने अपने अन्तिम श्वास पूरे किये थे या जहां पर उसका शरीर जलाया जाता था अथवा जहाँ पर उसकी अस्थियाँ गाड़ी जाती थीं। इस प्रकार की समाधियाँ प्रायः चबूतरे के रूप में पाई जाती हैं । चबूतरे के चारों कोनों पर चार खम्भे होते हैं और उन पर एक गुम्बजदार भारी छतरी होती है जो पत्थर या ईंटों से बनायी जाती है। कभी कभी केवल चबूतरा ही होता । चबूतरे पर मृत - साधु के पदचिह्न और कहीं कहीं मूर्ति' भी अङ्कित होती है। अधिकतर पदचिह्नों के पास एक शिलालेख रहता है उससे मृतसाधु का परिचय तथा उसके अन्तिम हालात मालूम होते हैं और स्मारक के निर्माता का भी पता चलता है । बहुत से जैन ग्रन्थों में धरातल में ऊंचे चौरस स्थानों का ( seats) वर्णन मिलता १ इ० सी०२, नं० ६४, १२६, २७२, ६२, १५ १६, ८५, १२, १०३, १०४, ११२, २७३, ११७,१८, ६५ आदि । २ इ० सी० २, नं ० . ६६ इसमें 'निषिद्यालयम् ' वाक्य आया है; ६५, ६३, २५४ ॥ ३ उदाहरण के लिये —कोप्पल में चन्द्रसेन निसिदि - जयकर्नाटक, X, १० और कागवाड़ा में नागचन्द्र — निसिदि, जिनविजय XXVI ४ बेल्गोल के ऐसे बहुत से शिलालेख । ५ देखो, निसीहिया का वर्णन, भगवती आराधना, गाथा १६६४ - ६७ ( कोल्हापुर संस्करण पृष्ठ १७२ से), शास्त्रसारसमुच्चय पृष्ठ १७० से (बेलगाँव संस्करण) ।
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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