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________________ १. , जिनचन्द्र ... । मूल । बलात्कार | सरस्वती कुन्द० .............. मूल । बलात्कार सरस्वती छन्द० किरण ३] सं०१९०२ से १५१५ भ० प्रमाचन्द्र के शिष्य पानन्द देव (१४५०) थे। इन्हीं प्रभाचन्द्र का उल्लेख प्रतिष्टाचार्यरूप में सं० १४१२ में हुआ है। पद्मनंद के पट्ट पर शुभचंद्र आसीन हुए। शुभचंद्र के उत्तराधिकारी जिनचंद्र थे, जिनके बाद पट्ट पर भ० सिंहकीर्ति (१५२०-१९३८) बैठे। शायद ग्वालियर के पट्ट का उल्लेख है। सेठ जीवराज पापड़ीवाल ने इनके द्वारा अनेक बिम्ब प्रतिष्टित कराये ...... प्रतिमा-लेख-संग्रह ... १३ | ब्रह्म जिनदास , बलात्कार सरस्वती कुन्द सं० ११३७ से पूर्व | इनकी आम्नाय में विद्यानदि मंडलाचार्य और श्रीभुवनकीर्ति हुए। सं० १९११ ... "शास्त्रपूजा" "गुरुपूजा' आदि ग्रंथ अपभ्रंश भाषा में शायद इन्हीं ब्रह्म जिनदास ने रचे हैं। सं० १५१२ सं० १५५३ से पूर्व सं० ११५३ शाके सं० १०४६ सं० १५५१ से पूर्व भ० जिनचन्द्रदेव ... ,, जिनप्रभसूरि , जिनभानुदेवसूरि ... | भ० जिनप्रभसूरि ,, जगतकीर्ति , जसकीर्ति
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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