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________________ अन्वय किस समय में उल्लेख नाम आचावं व भट्टारक गुरु का नाम | संघ गण | गच्छ । विशेष विवरण १९ , जगभूषण ... भ. ज्ञानभूषण मूल बलात्कार सरस्वती कुन्द० २० , जिनेन्द्रभूषण ... भ० लक्ष्मीभूषण | " , " , भास्कर सं० १६८६ ...| भ० धर्मकीर्ति के पट्ट परभ शील भूषण हुये। उनके पट्ठाधीश म० ज्ञानभूषण थे। और इनके उत्तराधिकारी भ० जगद्भूषण हुए। फिर भ० विश्वभूषण (१७२२) और | देवेन्द्रभूषण (१७३५) हुए। सं० १८२८ ... इस लेख में अटेर के पट्ट पर उपर्युक्त | विश्वभूषण और देवेन्द्रभूषणको लिखा है। देवेन्द्रभूषण के बाद पट्ट पर भ. सुरेन्द्रभूषण (१७६०-१७६६) बैठे। इनके उत्तराधिकारी भ० लक्ष्मीभूषण (१७६१) हुये, जिनके पद पर भ. जिनेन्द्रभूषण ने अधिकार जमाया। इस प्रकार भ० धर्मकीर्ति से भ० जिनेन्द्रभूषण तक सब ही भट्टारक अटेर की गही पर हुये प्रतीत होते हैं। सं० १४१६ में यहाँ पर भ. विश्वसेन थे। सं० १८१८ में भ० जिनेन्द्रभूषण के पश्चात् उनके उत्तरा. धिकारी क्रमश: भ० महेन्द्रभूषण और भ० राजेन्द्रभूषण थे। (सं. १९२०) ।
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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