SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भास्कर [ भाग २ 'तोमर' राजस्थान का एक प्राचीन राजपूत क्षत्रिय राजवंश है। इस श्रेणी के राजपूत अब नहीं के बराबर हैं। राजपुताने में ये लोग तुयार नाम से प्रसिद्ध हैं। जहाँ तहाँ श्रारा प्रान्त में भी तोमर वंशीय क्षत्रिय हैं। राजपूतवंश का तोमर यह नाम क्यों पड़ा इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता है । अबुल फजल की आइने अकबरी में 'तुयार' वंश का उल्लेख मिलता है। (विश्वकोश) प्रवाद है कि तोमरवंशीय अनङ्गपाल नामक एक राजा ने प्राचीन दिल्ली का पुनरुद्धार किया था । संवत् प्रतिष्ठाता विक्रमादित्य के बाद ७६२ वर्ष तक दिल्ली नगर बिल्कुल उजाड़ था। अन्त में ७३६ ई० में तोमरवंशीय अनङ्ग ने इसे पुनः बसाया । (विश्वकोश) दिल्ली के दक्षिण पश्चिम में तुयारवती या तोमरावती नाम का एक जिला है। वहाँ आज भी तोमरवंशीय एक सरदार रहते हैं। (विश्वकोश) _ ग्वालियर में प्रायः दो शताब्दी तक एक तोमरवंश ने राज्य किया था। इस वंश के इतिहास लेखक कवि खड्गराय तोमरवंश को पाण्डुवंश का ही एक अंग मानते हैं । (विश्वकोश) कनिंगहम साहेब को १८६४-६५ ई. में वहाँ के जमिन्दारों से एक वंशपत्रिका मिली थी। शिलालिपि में भी ग्वालियर के राजाओं में आठ तोमरवंशीय राजाओं के नाम पाये जाते हैं। खजराय के इतिहासानुकूल कनिंगहम ने ग्वालियर की तोमरवंश-तालिका जो दी है उसमें ईस्वी सन् १०८१ वाले राजा तेजपाल से लेकर ई० सन् १५१६ वाले राजा विक्रमादित्य तक बीस राजा हुए हैं। इनमें ई० सन् १३७५ वाले राजा वीरसिंह से लेकर राजा विक्रमादित्य तक अन्याय आठ राजाए तो यथार्थ में ग्वालियर के ही राजासिंहासनासीन रहे। (विश्वकोश) अस्तु हमारे प्रशस्तिगत तोमरवंशीय राजा निम्नलिखित तीन हैं :(3) सजावीरसिंह ई० सन् १३७५ ) यह काल-गणना विश्वकोश (२) राजा उद्धरणदेव , १४०० (३) राजा विरमदेव अब मैं प्रशस्तिगत श्लोकों से अपने चरितनायक 'कुशराज' जी का परिचय देता हूं। (१) भूलण (२) जैनपाल*-(इनकी स्त्री का नाम 'लोणा') (३) कुशराज जौणपाल' यह परिवर्तित नाम इन्हीं का ज्ञात होता है। काश्मीर के विश्वसनीय इतिहास राजतरंगिणी में भी कई जगह "जौणपाल" यह नाम आया है। देखें (राजतरंगिणी) . सरान, सैराज, रैराज, भवराज, क्षेमराज ये पाँच भाई कुशराज के और थे ! इनमें पाँचवे कुशराज और छठे सबसे छोटे क्षेमराज हैं। (प्रशस्ति से ही यह बात ज्ञात होती है।) __ , , ) से ली गयी है)
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy