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________________ .. [ भाग २ पाँचवा कारण यह है कि महाराज जीवन्धर की मुक्ति भी वर्तमान पटना जिलान्तर्गत राजगृह के विलाचल पर्वतपर ही हुई है'। ऐसी दशा में महाराज जीवन्धर के हेमाङ्गद hi दक्षिण भारत में खींच ले जाना मुझे तो युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता । उल्लिखित कारणों से मेरा अनुमान है कि हेमाङ्गद विन्ध्यपर्वत के उत्तर का ही केाई प्रदेश होना चाहिये । इस विषय पर अन्यान्य विद्वान् भी अवश्य विचार करेंगे। भास्कर मैं अब जीवन्धर की क्षेमपुरी या क्षेमपुर के सम्बन्ध में भी अपना विचार प्रकट कर देना चाहता हूँ । वर्तमान बंबई प्रान्तान्तर्गत उत्तर कन्नड जिला का गेरुसोप्पे ही प्राचीन क्षेमपुरी या क्षेमपुर था । गेरुसेप्पे का दूसरा नाम भल्लातकीपुर है । यह होनावर से पूरव अट्ठारह मील दूर पर अवस्थित है । गेरुसोप्पे में शासन करनेवाले सालुवशासकों का विस्तृत विवरण एपिग्राफिका कर्नाटिका भाग VIII एवं इसी के अन्यान्य भागों में भी मिलता है। मूड़बिट्टी के त्रिभुवन -तिलक चैत्यालय ( होसबस्ति) के पाँचवे शिलालेख से ज्ञात होता है कि सालुववंशी नारणाङ्क स्थानीय ( मूडबिद्री) मठाधीश श्रीचारुकीर्त्ति जी का परम भक्त था । इस शिलालेख में उक्त नारणांक के वंश का विस्तृत परिचय भी उपलब्ध होता है । गेरुसोप्पे चिरकालतक जैनसाम्राज्य - शासन में रहा । आज भी इसके आस ही पास डेढ़ मील की दूरी पर “नगरबस्ति केरी" में कई प्राचीन जैनमन्दिर भग्नावस्था में मौजूद हैं जो इस बात का प्रकट कर रहे हैं कि यह एक समृद्धशाली पुरातन नगर था । स्थानीय लोगों का अनुमान एवं विश्वास है कि अपने महत्त्व के दिनों में यहां पर एक लाख घर तथा चौरासी मन्दिर विद्यमान थे। यहां के मन्दिरों में सबसे बड़े महत्व का एक चौमुखा जैनमन्दिर है। इसके चार द्वार हैं तथा इसमें चार प्रतिमायें विराजमान हैं । पाँच और 9 xxxxविपुलाद्वौ हुताशेषकर्मा शर्माप्रयमेष्यति । इष्टाष्टगुणसम्पूर्णे निष्ठितात्मा निरञ्जनः ॥ (गुणभद्राचार्यकृत उत्तर पुराणान्तर्गत जीवन्धरचरित्र पृष्ठ ५४ श्लोक ५०५ - शास्त्री कुंपुस्वामिद्वारा तांजोर में प्रकाशित) । २ देखो — B. L. Rices, Mysore and Coorg Inscriptions p. 152. नोट – इस बात की सूचना मिलवर एम० गोविन्द पै ने मुझे दी है, तदर्थं वे धन्यवाद के पात्र हैं। ३ " खेमपुरद श्रीचण्डोग्रपार्श्वतीर्थेश्वरचरणकिंकररु श्रीमच्चारुकीर्त्ति पण्डिताचार्ख व पदपद्मभ्रं गावमान (स) रुमप्प सालुवनारायांकन" ।
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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