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भास्कर
[भाग २
१८ ऋषभनाथ- श्वेत-११ अं०-"श्री मूलसंघ बलात्कारगणे श्रीसरस्वतीगच्छे कुंदकुंदाचार्या
न्वये सं० १९४५ माघकृष्ण २ झम्मनलालेन प्रतिष्ठितं ।" १६ अर्हत्-हरितकृष्ण-७ अं०-लेख पूर्ववत् । २० कुंथुनाथ-श्वेत-८ अं०- लेख पूर्ववत् ।
ब्रह्मदाप तस्व
(५) मैनपुरी (कटरा) के दिगम्बर जैन मंदिर में स्थित ताम्रपत्रों की प्रशस्तियां । १ षोडशकारणयंत्र-"सं० १५२५ वर्ष चैत्र सुदि ७ श्रीमूलसंधे बलात्कारगणे सरस्वती गच्छे
श्रीसुभचंद देवा तत्प४ भट्टारक श्रीनेमिचंद्र देवा तत्प?' भ० जिनचंद्रदेव तत्प? श्रीसिंहकीर्तिदेव तदाम्नाये साह लोणा षोडसकारण बंत्र करापितं ।
कर्मक्षयनिमित्त ।" २ दशलक्षणधर्मयंत्र- "सं० १६४२ वर्षे फाल्गुण सुदि १ दिने श्रीमत्काष्ठासंघे हेमचंद्र आम्नाये ।
ब्रह्मदीप तस्य शिष्य-तस्य आम्नाये वासलगोख सा० गुणदास तस्य भार्या
जाही इत्यादि।" ३ सिद्धयंत्र-"सं० १७५२ का वर्ष जेष्ट वदि ६ शुक्र वासरे श्रीमूलसंघे मं० श्री जसकीर्ति जी देवा .... भ० श्रीरत्रकीर्ति जो तदाम्नाये खंडेलवालान्वये जोबनपुर वास्तव्ये श्रीविजैस्यंघ राजेः ।" ४ षोडशकारणयंत्र-"सं० १७८३ वर्षे वैशाख वदि ८ बुधबार श्रीमूलसंघ भट्टारक श्रीदेवेन्द्रकीर्ति
स्तदानाये यासपाहक लुहाड्यागोत्र संघ ही श्री हृदयराम विवि
प्रतिष्ठा पं० भामनि ।" ५ षोडशकारणयंत्र-"सं० १६०६ फाल्गुण वदि १० मूलसंघ सरस्वतीगच्छे भ० श्रीपनकीर्ति
उपदेशात् ज्ञातौ गहतू राजमल सेठ भार्या सावाई पुत्र जगड़ सेठ भार्या
शिवबाई सुराय सेठे प्रणमन्ति ।" नोट-इनके अतिरिक्त इस मंदिर में करीव १००-१२५ यंत्र और हैं जो अभी पढ़े नहीं गये है।
(६) मैनपुरी (कटरा) के दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान लिंगचिह्न-सहित
प्रतिमाओं का लेखसंग्रह । १ पार्श्वनाथ-धातु-६ अं०-"संवत् ११२०।" २ चंद्रप्रभ-श्वेतपाषाण-२१ अं०-"सं० १२३४ वर्षे मास कातिक सुदी १ गुरुवासरे भट्टारक
आम्नाय सा० बुधमल अग्रवाल गर्गगोती प्रतिष्टाणाम् मंगलाल विमलं अष्टसिद्धि नवनिधिदायक बिंबस्थापन । गुरु आचार्जकात्र ।” .