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________________ किरण २] प्रशस्ति -संग्रह अन्तिम पद्य : तिथिरेकगुणा प्रोक्ता नक्षत्रं द्विगुणं भवेत् । लग्नन्तु त्रिगुणं तेषां शुभाशुभफलं भवेत् । ग्रन्थकर्ता के मंगलाचरणगत १६वें श्लोक से यह ज्ञात होता है कि वीरावार्य, पूज्यपाद, जिनसेन, गुणभद्र, वसुनन्दो, इन्द्रनन्दी, आशाधर और हस्तिमल्ल इन आठ साहित्यिकरत्नों ने प्रतिष्ठा-ग्रन्थ लिखे हैं। और इन्हीं के आधार पर आर्यप या अप्पयार्य ने इस विद्यानुवादाङ्ग प्रतिष्ठा-प्रन्थ की रचना की है। किन्तु इस समय उल्लिखित इन प्रतिष्ठाग्रन्थ प्रणेताओं के सभी ग्रन्थ प्रायः उपलब्ध नहीं होते। इसके २०वें श्लोक से यह भी विदित होता है कि इस ग्रन्थ के रचयिता धरसेनाचार्य और कुमारसेन मुनि को अपना गुरु मानते थे। इन्होंने इन्हें तर्क व्याकरण एवं सभी आगमों का मर्मज्ञ भी लिखा है। इसी श्लोक में “कौमारसेनेमुनेः" यह पद जो मिलता है, वह व्याकरण की दृष्टि से चिन्तनीय है। क्योंकि नियमानुसार “कौमारसेनस्य" होना चाहिये था। किन्तु इस शुद्धरूप की प्रयुक्ति से छन्दोभंग हो जाता है। यह प्रति बहुत अशुद्ध है, अतः जिन महाशयों के पास इसकी दूसरी कोई प्रति हो वे उससे इसका मिलान कर इस सन्दिग्ध बात पर प्रकाश डालें। संभव है कि दूसरी प्रति शुद्ध हो। - भवन की इस प्रति में तो प्रशस्ति नहीं है। किन्तु Catalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts in the Central Provinces & Berar" - जिसका सम्पादन राय बहादुर हीरालालजी ने किया है उसमें आर्यप या अप्पयार्य का संक्षिप्त परिचय-प्रदर्शन-पूर्गक कारंजा शास्त्रभाण्डार से प्राप्त प्रति से निम्न लिखित प्रशस्ति उद्धृत की है: शाकाब्दे विधुवेदनेत्रहिमगे (?) सिद्धार्थसंवत्सरे माघे मासि विशुद्धपक्षदशमीपुण्यार्कवारेऽहनि । प्रन्थो रुद्रकुमारराज्यविषये जैनेन्द्रकल्याणभाक् सम्पूर्णोऽभवदेकशैलनगरे श्रीपालबन्धूर्जितः॥ । इति श्रीसकलतार्किकचक्रवर्तिश्रीसमन्तभद्रमुनीश्वरप्रभृतिकविवृन्दारकवन्धमानसरोवरराजहंसायमानभगवदर्हत्प्रतिमाभिषेकविशेषविशिष्टगन्धोदकपवित्रीकृतोत्तमाङ्ग नाप्पयार्येण श्रीपुष्पसेनाचार्योपदेशक्रमेण सम्यग्विचार्य पूर्वशास्त्र भ्यः सारमुद्धृत्य विरचितः श्रीजिनेन्द्रकल्याणाभ्युदयापरनामधेयस्त्रिदशाभ्युदयोऽर्हत्प्रतिष्ठाग्रन्थः समाप्तः ॥
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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