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________________ ७५ किरण २ ] कविवर श्रीजिनसेनाचार्य और पाश्वभ्युदय श्वेताम्बर ग्रन्थों में इसी तरह के अनेक उल्लेख प्रशंसापूरक पाये जाते हैं, उन सब के लिखने का यह स्थान नहीं है इतना अवश्य है कि ये दिगम्बराचार्य कुमुदचन्द्र कौन थे ? इनकी गुरुपरंपरा वा शिष्यपरंपरा क्या थी ? इसका उल्लेख दिगम्बर ग्रन्थों में अभी तक की खोज से नहीं मिला है। यदि वास्तव में ये आचार्य चौरासी शास्त्रार्थों के विजेता थे तो अवश्य ही इनकी कीर्ति महत्वशाली ग्रन्थों के रूप में विद्यमान रहना चाहिये थी। लेकिन प्रमाणनयत्तत्त्वालाकालंकार को देखते हुए श्वेताम्बर ग्रन्थों के उपर्युक्त कथन पर सहसा विश्वास नहीं होता है । जो हो, इस विषय पर अवश्य ही विद्वानों को प्रकाश डालना चाहिये । श्रीवादिदेव सूरि का ग्रन्थ स्याद्वाद - रत्नाकर भी है जो कि प्रमाणनयतत्त्वालाकालंकार की टीका है । इसके विषय में भी यह प्रसिद्धि है कि यह ग्रन्थ चौरासी हजार श्लोक प्रमाण है, लेकिन प्रकाशित ग्रन्थ को देखने से इसकी चौथाई होने में भी संदेह है। यह ग्रन्थ पांच भागों में प्रकाशित हुआ है । हो सकता है कि आचार्य का महत्त्व दिखलाने के लिये उनसे पीछे के विद्वानों की यह कल्पना मात्र हो । इसकी भी खोज बहुत आवश्यक है । कविवर श्रीजिनसेनाचार्य और पार्श्वाभ्युदय ( ले - त्रिपाठी भैरव दयालु शास्त्री, बी० ए०, साहित्योपाध्याय ) समय और समाज किसी भी व्यक्तिविशेष की कृतियों के साधन का असाधारण अत 1 आग की चिनगारी चाहे असीम भस्मचय के अन्तर्गर्भ में ही क्यों न छिपी हो, सामयिक वायु अपनी अप्रतिहत प्रगति से भस्मचय को उड़ाकर उसे बाहर निकाल लाती है, और समाज उसमें उद्दीपक साधनों की आहुति देकर उसे प्रज्वलित कर देता है । यही कारण है कि वैयक्तिक विकास में समय और समाज का विशेष हाथ रहता है । फिर, राजसत्ता के अनुराग और प्रोत्साहन तो उसके जीवन के मूल स्रोत हैं ही। इसीलिये आलोचकों की तीक्ष्ण दृष्टि पुरुष - विशेष पर गड़ने के पहले समय, समाज और शासन की तत्कालीन प्रवृत्तियों पर पड़ती है । अस्तु, सहृदय पाठकवृन्द ! अभीष्ट विषय पर पहुंचने के पूर्व अपने महाकवि के समय और समाज का यत् किञ्चित् उल्लेख कर देना मुझे परमावश्यक प्रतीत, पड़ता है, क्योंकि कार्य्यं जिस वातावरण में किये जाते हैं उससे वे पूर्ण प्रभावित होते हैं ।
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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