________________
२०६
१६३ ख
१६६ क
१६७ क
१६६ ख
२०२ ख
39
२०५ क
२२० क
२२५ क
२२५ क
२२७ क
"
२२८ ख
२३४ क
२३५ क
२३६ क
२४२ क
२४७ ख
२४६ क
२६० क
९६१ क
२६१ ख
२६२ क
२६६ क
२६७ ख
२६६ क
२८० ख
२६० ख
२६२ क
२६३ क
२६५ क
२६६ ख
३०० क
Jain Education International
विकर्म देव कह खिल्लोए
कस्स साहामि
जाइज्जा
पाविज
जीवो
परिहरे इस जो
पसंतर
पण
पडिगह मुचट्ठाणं रिवज्जा तह उच्च
वज्ज
खाइमं
रोड
परिपीडयं
कि पि
जायइ जहासु
सुदिट्ठी
सहस्सुत्तुगा
सक्कर समसाय
केई
जोग्वां तेहि
तस्थाणु
विगइभया
बहिण
उस्सु
एवर
शिब्वयडी
सिरहा
तुय
जाणइ
च
अनेकान्त
को कर्म देव दुआई २०१
कह लिए
कस्स व साहेमि
जाएज पाविज्जा
X 8
इस जो परिहरह
पसंतह ( 1 )
मणं
पडिगहण मुच्चठाणं
णिरवज्जाणु वह
सिवेज
खाइय
रोईणं (३) परिपीडिय
किंचि
जाइजहण्णासु
सुदिट्टी मनुया सहस्स तुरंगा
सक्करासाय
ख
99
३१५ क
३१७ ख
३२१ ख
दुच्च (२) ३२४ क
जाण
X
७
देखो, रांगपरित जटिलकृत मार्ग २ देखी सागारधर्मामृत टीका अध्याय २ का ३ रोगी पुरुपका । चौवनं ते येषां ते तैः अभ्रकादि बादलोंका नष्ट होना आदि ।
1
क
ख
99
३०४ क
३०६ क
३०७ ख
३०६ क
खोक २० । ४५ वां पद्म
विगत
५ स्नान
केह
जोतिहिं (४)
तत्थणु
विगदभ्याइ (५) ३५३ ख
लहिउ
चडसु
३६२ ख ३६६ क ख
वरि
"
विडी
३७२ ख
सिहा
३७७ ख
तय
३८४ क
ख ३८६ क
३२७ क
३३१ ख
३३३ ख
३३७ क
३३८ क
३३६ ख
३४१ क
३११ का
"
चय
उवयरणेण
चरियाय
पत्येह
For Personal & Private Use Only
जाएज्ज
काउंरिस गिम्मि
शियम
दुर परभवम्मि
दंसणो
अफरस
जिए
तिवसीय त
स्पीयं ●
उच्चरा
संवेगाइय
पूर्वार्ध
[ किरण ६
(६)
मिड उवरण (७)
चरियाए
पुरव (4)
पूजा
दिव्यभाए
श्रट्टमि श्रो
एजा (4)
कार्डरिसि गोह
म्मि (१०)
विषमेव
तहा एयारस
सुरस्य वि
गायव्वा
वराड श्री वा
रूण
बिडि
दद्दुर (११) परभवम्मि य
दंसणे
जयार्थ
किस
सिरसाणं मद्दण - अभंगसेव,
फरुस
बहि
जणाश्रो (१२)
संकिलेस
उच्चारा
संवेगाइ
आयंबिल विग्यियडेय ठाण
घट्ट माइ खवणेहिं
सिरसाग
मद्दणभंगसेय
पुजा दिव्य भोए
मी
सडेयारस
सुच
यायो
बराडाइस (12)
ऊण
विही
६ 'मुगदमं वपमं त्रिषु' इत्यमरः ७ मृदु उपकरण पट्टी श्रादिसे में यहां ही मेरे घर पर ही । 8 मांगे ( याचयेत् ) १० ऋषि समुदाये कर्तुं न शक्येत् । ११ मेंढक (दर) १२ गुरुजनोंसे १३ अक्षत कमलगृह श्रादिमें, देखो धवला
www.jainelibrary.org