________________
किरण ६]
वसुनन्दि श्रावकाचारका पाठ संशोधन
. [२०५
५३ क
x
५० ख एसु सम्मा एएसु सम्म
१७४ ख किंचिएणं किंचणं , (१६) ११क हिस्संकाइ हिस्संकाई
1०८क
__ हरेह* ५२ ख वणिगसुदा वणिधूया
१८६ अ __णेत्तुद्धारं __णेत्तुद्दारं (१७) रुद्दवर रउरुए
१०३ ख सूला वा रोहणं सूलावरोपणं (15) ५५ क तामलित्त तामलित्ति
११६ क कुल मज्जायं कुलक्कम* विसणाई वसणाई
पच्छियाओ पस्थियारो संसिद्धाई संसिट्ठाइं (७) १२. क
तस्थ हिंडए
१२० क मज्झम्मि मम्मयारम्मि मायर मायरं ण
१२२ ख चौरस्स चोरु ब्व वुज्जाई . चुज्जाइं (८)
१२३ ख दुश्चित्तो भो चित्तं अक्खेहि अच्छीहि (6)
१३१ ख हणेइ णिहणेइ
१३६ क ते बंद तं वर्ल्ड (१६) ६८ क दिएणं ति दियहं पि
मही वीढे मही पि? अत्था अच्छ १४३ ख
तुम रस्थाय यंगणे रस्थाए पंगणे (१०)
१४७ ख
पज्जलयम्मि पज्जल्लियम्मि मिट्ठो मिट्ठा (११)
१४८क अझसरेहिं ज्झसेहिं (२०) हिप्यह विप्यइ १४६ क मं मा
मं म अबराई अवराईवि
१५१ क कह वि य माएण कह व पमाण्ण ८६ ख: तंपि वरिणए तम्हि विरिण ए (१२) १३८ क उसिण उपह जहा"विप्पा गयणगामिणो वि भुवि विप्पा
णीइ
णिय ., ख भुवि x
१५७ ख ८८ क पारसियाण पारस्सियाण
१६० ख छुहिति ८८ ख . भक्खेइ भक्खइ
१६६ क किकवाय किकवाउ. ... क सामी मोत्तण णाथि सामि मोत्तण तं ण (१३)
१६७ ख चुण्णो चुण्णी चुण्णा चुएणी १६क पजायमाणो हिरवराहो पलायमाणे "णिरावराहे *
१६८ क - छेयण
छेयं ., ख. हणिज्जइ हणिज्जाल
१६८ ख . केई १०२ ख संतत्तो संतट्टो (१४)
१७. ख सुमरा विऊण सुमरा वैऊण १०३ ख भय विट्ठो भय वत्थोक
१७६ क खिल्ल विल्ल खल्ल विल्ल (२१) १०४ ख पबलेण पञ्चेजिउ (१५)
१८४ क
कोह
तिस प्रोवि तिसरी व संग्रह दिया है जो प्रागेकी गाथाके 'इच्चाइगुणा' शब्दसे
कूवंतस्स कुब्वंतस्स संबद्ध हैं। ७ संसृष्टानि अांखोंसे १०रौरुक नगरे , ख से देइ
सद्दहइ. चुज्जाई = आश्चयकराणि । देखो, पाइप्रसद्धमहराण
बाहियात्रो (२२) बो कोश ।
१६ म्यं १७ नेत्रोद्दारं-आंखें फोड़ी जाना, १८ सूली पर १. गलियोंमें या चौकमें मीठी मद्य १२ मांस चढ़ामा १६ उसी वृत्तको-लोहेके गोलेको । २. अस्त्र भषण में ये दोनों दोष १३ त्वा मुक्त्वा मम अभ्यास्वामी विशेषैः। २१ खल्व विस्व न्यायसे। २२ बाधिका१४ संत्रस्त: १५ प्रत्युत ।
बधाोंगे।
११२ ख
"
छुहति
कोई
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org