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________________ विषय-सूची १ लद्रव्यसंग्रह -- (सम्पादक " १४४५ हमारी तीर्थयात्राके संस्मरण२ समन्तभद्र-वचनामृत-[ युगवीर [परमानन्द जैन शास्त्री ... ३ राजस्थान के गैन शास्त्र भण्डारोंमें उपलब्ध ६ कुरलका महत्व और जैनकतृत्व |श्रीविद्याभूषण महत्वपूर्ण ग्रन्थ-[ले. कस्तरचन्द . पं. गोविन्दराय जैन शास्त्री जैन कासलीवाल एम० ए० . ... .१५५ ७ साहित्य परिचय और समालोचन [परमानन्दजैन ४ हिन्दी जैन-साहित्यको विशेषता ....८ साधु कौन है ? (एक प्रवचन)-[श्री. १०५ पूज्य [श्रीकुमारी किरणवाला जैन ... १५६ तुल्लक गणेशप्रसादजी वर्णी . ... श्रीबाहुबलि-जिनपूजा छपकर तय्यार !! श्री गोम्टेश्वर बाहुबलिजी की जिस पूजाको उत्तमताके साथ छपानेका विचार गत मासकी किरणमें प्रकट किया गया था वह अब संशोधनादिके साथ उत्तम आर्ट पेपर पर टाइपमें फोटो ब्राउन रङ्गीन स्याहीसे छपकर तयार हो गई है। साथमें श्रीबाहुबलीजीका फोटो भी अपूर्व शोभा दे रहा है। प्रचारकी दृष्टिसे मूल्य लागतसे भी कम रखा गया है। । पूजा तथा प्रचारके लिये आवश्यकता हो वे शीघ्र हो मंगाले। क्योंकि कापियाँ थोड़ी ही छपं १०० कापी एक साथ लेने पर १२, रु. में मिलेगी। दो कापो तक एक आना पोष्टेज लग १० से कम किसीको वो०पी० से नहीं भेजी जाएंगी। मैनेजर-वीर सेवामा १ दरियागंज, दिल्ली अनेकान्तकी सहायताके सात मार्ग (१) अनेकान्तके 'संरत्तक'-तथा सहायक' बनना और बनाना। . (२) स्वयं अनेकान्तके ग्राहक बनना तथा दूसरोंको बनाना । (३) विवाह-शादी आदि दानके अवसरों पर अनेकान्तको अच्छी सहायता भेजना तथा भिजवाना । (४) अपनी ओर से दूसरोंको अनेकान्त भेट-स्वरूर अथवा फ्री भिजवाना; जैसे विद्या-संस्थाओं, लायः सभा-सोसाइटियों और जैन-अजैन विद्वानोंको । (५) विद्यार्थियों आदिको अनेकान्त अर्ध मूल्यमें देनेके लिये २५), १०) आदिकी सहायता भेजना। सहायतामें १० को अनेकान्त अमूल्यमें भेजा जा सकेगा। (६) अनेकान्तके ग्राहकोंको अच्छे ग्रन्थ उपहारमें देना तथा दिलाना । (७) लोकहितकी साधनामें सहायक अच्छे सुन्दर लेख लिखकर भेजना तथा चित्रादि सा प्रकाशनार्थं जुटाना। नोट-दस ग्राहक बनानेवाले सहायकोंको सहायतादि भेजने तथा पत्रव्यवहारकार 'अनेकान्त' एक वर्ष तक भेंट मैनेजर 'अनेकान्त' स्वरूप भेजा जायगा । वीरसेवामन्दिर, १, दरियागंज, दे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.527319
Book TitleAnekant 1953 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJugalkishor Mukhtar
Publication Year1953
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size10 MB
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