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________________ अनेकान्त [ वर्षे सदाके लिये बन्द हो जाय। मन्दिरको तुरन्त नष्ट किया जावे ताकि मूर्ति-पूजा चाहिये। बल एकतासे आता है, और धर्म एकताके लिये सहायक होता है। हमने अपनी लापरवाही मुसलमानोंके बार-बार आक्रमण, लूट और निर्बलता और फूटसे लगभग 800 वर्ष तक परतन्त्रता ध्वंसोंसे हिन्दुलोगहतोत्साह हो गये, और सोमनाथका की बेड़ियां पहनीं। आज कितने ही देश-भक्तोंके मन्दिर फिर अपने उस ऐश्वर्यको नहीं प्राप्त कर सका पुरुषार्थ और बलिदानोंके पश्चात् हम स्वतन्त्र हुए हैं। जो उसे कुमारपालके समय में प्राप्त था। स्वतन्त्रताको रक्षा करना हमारे हाथ है। . इन्दोरकी महारानी अहल्याबाईने प्राचीन सोमनाथ सोमनाथ मन्दिरके निर्माणके विषयको लेकर मन्दिरके स्थानको छोड़कर नये स्थानपर अन्तिम गनीट्रेड्स एसोसिएशन कलकत्ताके हिन्दु सदस्योंकी सोमनाथका मन्दिर बनवाया जो आजकल भी अपनी तथा अन्य हेसियन बोरेके कार बार करनेवालोंकी जीर्ण-शीण अवस्था में उपस्थित है। एक सभा गत सप्ताह में हई। उस सभामें श्रीयुक्त सोमनाथ मन्दिरका नव-निर्माण हो माधोप्रसादजी बिड़ला, केसरदेवजी जालान, भागीरथ बहुत दिनोंसे हिन्दुओंकी यह एकान्त कामना रही जी कानोडिया देवीप्रसादजी गोयनका छोटेलालजी कि किसी तरह सोमनाथ मन्दिरका निर्माण हो। कानोडिया रामसहायमलजी मोर मनसुखरायजी मोर ईस्ट इण्डिया कम्पनीके समय लार्ड एलिनबराके गिरधारीलालजी मेहता, विलासरायजी भिवानीवाले, शासनकाल में सोमनाथ मन्दिर के बनानेकी चर्चा उठी केसरदेवजी कानोडिया, तुलसीदासजी, जयलालजी थी पर उसमें सफलता नहीं हो सकी। जूनागढ़के वेरीवाले आदि अनेकों बोरेके कारोबारसे सम्बन्ध मुसलमान नवाबोंने इसका सदैव विरोध किया रखनेवाले महानुभाव उपस्थित थे। यही नहीं 'देहोत्सर्ग' "वैराग्य क्षेत्र" आदि पावन . श्रायुक्त श्रीयुक्त भागीरथजी कानोडियाने सोमनाथ मंदिर स्थानोंकी हिन्दुओं द्वारा देख रेख भी मुसलमान के नव-निर्माणके बारे में सभाके सामने अपने विचार नवाबोंके लिये असह्य हुई, और वहां पूजा करनेकी रखे। उन्होंने बतलाया कि रविवार 4 जनवरीको सख्त मनाई कर दी गई यहां तक कि उसके आस-पास सरदार पटेलने पाट, बोरा, कपड़ा, कागज, चीनी, की भूमिमें मुर्दा गाढ़कर उसे अपवित्र भी करने लगे। सीमेंट आदिके विभिन्न व्यापारिक प्रतिनिधियोंसे जब भारत स्वतन्त्र हुवा तो जूनागढकी प्रजाको बिरला पाक में भेंट की, और उनको जूनागढ़स्थित सुप्त प्रतिक्रिया नवाबके विरुद्ध अति उग्र हो उठी। सोमनाथ मन्दिर के नव-निर्माणके लिये सहायता और जब वहांका मुसलमान नवाब जनताकी इच्छाके करनेका परामर्श दिया। श्री भागीरथजी कनोडियाने विरुद्ध पाकिस्तानसे मिल गया, तो वहांके लोगोंने बतलाया कि अन्य व्यापारवालोंने सरदार पटेलको सशस्त्र स्वतन्त्रता संग्राम प्रारम्भ किया और नवाबको सोमनाथ मन्दिरके लिये धन एकत्रित करनेका आश्वादुर्धर्ष जनसङ्घकी सामूहिक शक्तिके सामने पलायन सन दिया है अत: बोरेके व्यापारसे सम्बन्ध रखने करना पड़ा। वाले सभी सज्जनोंको सोमनाथ मन्दिरके निर्माणके अतः अब समय आ गया है कि हम लिये दान देना चाहिये; क्योंकि सोमनाथ मन्दिर लोग सोमनाथ मन्दिरके अतीत गौरवको पुनः सभी हिन्दुओंका है, उन्होंने यह भी कहा कि सोम नाथके पतनके साथ हिन्दुओंको स्वतन्त्रता-हासका लौटाएं। इतिहास भी निहित है। अब भारत स्वतन्त्र हुआ है, अब हिन्दुओंको अपने छिने हुए धर्मस्थानोंको अत: सोमनाथका जीर्णोद्धार अवश्य होना चाहिये। वापिस लेना चाहिये। दुर्बलताका समय चला गया सभी उपस्थित सज्जनोंने इस कथनका सहर्ष अनुमोअब भारत स्वतन्त्र है, और भारतको बलवान बनना दन किया। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.527252
Book TitleAnekant 1948 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJugalkishor Mukhtar
Publication Year1948
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size12 MB
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