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किरण १ ]
भारतकी स्वाधीनता अन्य उन देशोंकी स्वाधीनताकी भूमिकामात्र है, जो अभी पराधीनता में पड़े हुए हैं। इतिहास में भारत के बर्मा से निकटतम सम्बन्ध रहे हैं। लगभग एक शताब्दी तक दोनों ही देश विदेशी बेड़ियों में जकड़े रहे हैं । बर्माके आर्थिक जीवनमें भारतीयोंने जो हिस्सा लिया है वह कुछ थोड़ा नहीं है । हम सदासे बर्माके स्वाधीनता - संग्रामके प्रति अपनी हार्दिक सहानुभूति प्रकट करते रहे हैं। जैसे-जैसे वर्ष बीतते जायेंगे वैसे-वैसे स्वाधीनतामें साधीपनकी भावनाका विकास होता
- विविध
जायगा -
- इसी तरह जिस तरह कि पराधीनताको बेड़ियों में जकड़े रहने पर भी इनके दृष्टिकोण में साम्य था । हमारी कामना है कि 'वर्मा पुनर्निर्माण तथा पुनस्संस्थापनके काय में प्रगति करे' ।
डा० राजेन्द्रप्रसाद ने जिन्होंने रंगूनके स्वाधीनता समारोह में बर्मा जाकर भारतका प्रतिनिधित्व किया, हिन्दीमें दिये हुए अपने सन्देशमें बर्मा राष्ट्रको भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी तरफसे. बिहारकी तरफ से जहां बुद्धको बोधिसत्त्वका ज्ञानका प्रकाश मिला था, सम्पूर्ण भारतकी तरफसे, विधानपरिषद की तरफ से और स्वयं अपनी तरफसे बधाई दी ।
लार्ड माउण्ट बैटनने बर्माके प्रति भारतकी सद्भा बना प्रकट करते हुए अपने महत्वके भाषण में कहाश्राज बर्माका स्वाधीनता दिवस है। मुझे प्रसन्नता है कि हमारे स्वाधीनता दिवसके कुछ समय बाद ही यह मनाया जारहा है। गत चार वर्षोंसे बर्माके मामलों में मैं घनिष्ठता से निरन्तर रुचि लेता रहा हूं और इस प्रकार वर्मा देश और वर्मी लोगोंके लिये मेरे हृदय में वास्तविक स्नेह उत्पन्न हो गया है। दक्षिण पूर्वी एशिया कमानके स्थापित होतेही वर्मा क्षेत्र के शासन प्रभार मुझे सौंप दिया गया था । ज्यों ज्यों जापा योंको हम पीछे हटाते थे त्यों त्यों यह क्षेत्र बढ़ता जाता था । वर्माको जापानसे मुक्त कराने के समय तक और इसके कुछ महीने बाद तक मैं इस प्रकार से धर्मा सैन्य गवर्नर था ।
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इस अवसर पर मैं स्वर्गीय जनरल अगसानके प्रति श्रद्धांजलि प्रकट करता हूं । वे देशभक्त थे और उनकी यह प्रबल अभिलाषा थी कि उनका देश सदा स्वतंत्र रहे और यही कारण था कि उन्होंने अपने आपको और अपनी वर्मी देशभक्त सेनाको जापान के विरुद्ध लड़नेके लिये मुझे सौंप दिया था । उन्होंने और उनकी सेनाने जो हमारी सेनाको सहायता दी वह बहुत सराहनीय थी। वर्मा मुक्त हो जाने के बाद उन्होंने उच्चकोटिकी राजनीतिका परिचय दिया । रंगून और कैन्डी में मेरी उनसे कई बार मुलाकात हुई। मुझे विश्वास होगया था । कि वे अवश्य ही देशके महान नेता बनेंगे। मुझे आशा थी कि कितने ही वर्षों तक वर्माका भाग्य - निर्माण करनेके लिये वे चिरकाल तक जीवित रहेंगे। उनकी भीषण हत्यासे हृदय विदारक क्षति पहुंची है।
अपनी उपाधिके साथ बर्माका नाम सम्बद्ध करने का मुझे गौरव प्राप्त है । इस देश से मेरा घनिष्ठ सम्पर्क रहा है । इसलिये इस दिवसको विशिष्ट रूपसे मनाने के लिये मैं उत्सुक था । मेरी इच्छा थी कि भारत की रसे वर्माको कोई उपहार दिया जाय ।
कलकत्ताके अजायबघर में वर्माका एक राजसिंहासन रखा हुआ है । मांडलेमें लुटदाभवन में जब वर्माके नरेश थीवा गयेथे वे इसपर बैठे थे । यह उच्च सिंहासन सागौन लकड़ीका बना है और इसमें सोनेका प्रचुरतासे काम किया हुआ है। और नरेश थीवाके उस प्रसिद्ध सिंहासनका यह प्रतिरूप है । जब मैं हालही में लन्दन गया था तो मैंने सम्राट से इस सम्बन्ध में परामर्श किया भारत सरकार के इस प्रस्तावको उन्होंने बड़ी प्रसन्नतासे मान लिया कि बर्माकी स्वाधीनता के अवसरपर यह सिंहासन उसे भेंट कर दिया जाय । यह सिंहासन इतना भारी है कि यह यहां नहीं लाया जा सकता था । इसे कलकत्ता से ही सीधे रंगून भेज दिया जायेगा । मुझे आशा है कि मार्च में वर्मा जाने का मैं वर्मा प्रधान-मंत्रीका निमंत्रण स्वीकार कर सकूंगा । यदि ऐसा हुआ तो उस समय मैं स्वयं यह सिंहासन भेंट कर सकूँगा ।
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