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________________ अनेकान्त [ वर्ष ६ कलकत्ताके सरकारी भवनमें सिंहासनभवनके कष्टपूर्ण घड़ियोंसे गुजरना पड़ रहा है । स्वतंत्रताके भागमें एक छोटासा तख्त पोश है। यहभी जन्मसे पूर्व कष्टोंका भोगना अनिवार्य है। फिर भी नरेश थीवाका है और १८८५ में वर्माके तृतीय युद्ध में कष्टोंसे स्वाधीनताका उदय होता है और कल्याण मांडलेके राजमहलसे लाया गया था। यही तख्तपोश होता है और मुझे आशा है कि भविष्यमें वर्मी जनता आपके सामने है जो कलकत्ता-स्थित राजसिंहासनके के लिये कल्याणकारी और रचनात्मक कार्य होगा। अतिरिक्त मैं सम्राट और भारतकी सरकार तथा भारत अतोतकी तरह भविष्यमें भी भारतीय राष्ट्र वर्मी राष्ट्रके के लोगोंकी ओरसे वर्मा-राजदूत की मार्फत वर्माके कंधोंसे कंधा लगा कर खड़ा होगा और. हमें सौभाग्य लोगोंको भेंट कर रहा हूं। इन दोनों उपहारोंके साथ या दुर्भाग्य जिसका भी सामना करना पड़े हम एक वर्मा के प्रति हम भारतकी सहृदयतापूर्ण शुभ कामनाऐं साथ ही उसका सामना करेंगे। भेजरहे हैं। हम री यह प्रबल आशा और दृढविश्वास है कि भविष्यमें वर्मा शान्ति और स्वतंत्रताके वाता ५-भगरान महावीरके जन्म दिवसकी वरणमें फूले फलेगा'। यू० पी० प्रान्तमें छुट्टीकी सरकारी घोषणा___ इसी अवसर पर पण्डित नेहरू ने दिल्लीके दर- पाठकोंको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि संयुक्तबारभवनमें दिये अपने अन्य भाषणमें वर्मा और प्रान्तको लोकप्रिय राष्ट्रीय सरकारने संयुक्तप्रान्तमें भारतके सम्बन्धोंपर प्रकाश डालते हुए कहा- भगवान महावीरके, जो अहिंसा और अपरिग्रहके ___ 'मैं भारतकी सरकार और जनताकी तरफसे वर्मी अनन्य उपासक तथा सर्वोच्च प्रचारक थे, जन्मदिनकी सङ्घके प्रजातन्त्रका अभिवादन करता हूं। केवल वर्मा एक दिनकी इस वर्षसे छुट्टे की घोषणा कर दी है। के लिये ही नहीं, बल्कि भारत तथा सम्पूर्ण एशियाके अब समस्त प्रांतमें महावीर-जयन्तीकी सार्वजनिक लिये यह एक महान् तथा पवित्र दिन है । हम भारतमें छुट्टी रहा करेगी। कई वर्षोंसे समाज और जैनसंदेश इससे विशेष रूपसे प्रभावित हुए हैं, क्योंकि न जाने आदि पत्र इस छुट्टीके लिये लगातार प्रयत्न कर रहे कितने वर्षोंसे हमारा वर्मासे सम्बन्ध रहा है। अतीत थे। यद्यपि यह छड़ी बहुत पहले ही घोषित हो जानी कालसे हमारे प्राचीन ग्रन्थों में वर्माको स्वर्ग देश कहा चाहिये थी फिर भी सरकारने अपनी लोक-प्रियताका जाता रहा है । अतीत कालमें ही किन्तु कुछ समय परिचय देकर जो सार्वजनिक छुट्टीकी घोषणा की है बाद हमने वर्माको एक संदेश दिया, जो भारतके उसके लिये हम समाजकी ओरसे उसे धन्यवाद दिये महान्तम पुत्र गौतम बुद्धका संदेश था । इस संदेशके विना नहीं रह सकते । अबतक निम्न स्थानोंमें महाकारण वर्मा और भारत इन २००० या कुछ अधिक वीर जयन्तीकी छुट्टी स्वीकृत हो चुकी है:- यू०पी०, वर्षों में एक अटूट बन्धनोंमें बंधे रहे हैं । अन्य बातोंके बिहार, सी० पी०, इन्दौर, रीवां, भोपाल, भरतपुर, अतिरिक्त इसमें शान्ति तथा सदाचरणका सन्देश बिजावर, बरार प्रान्त, अलवर, बून्दी, कोटा, ओरछा, था और आज अन्य किसी भी बातकी अपेक्षा शान्ति बीकानेर, अजयगढ़, अकलकोट, अलीराजपुर ओंध, और सदाचरणकी आवश्यकता है। और इस लिये अवागढ़, अजमतगढ़, अथोलिक, बडवानी, बाघाट, आज हम वर्माके प्रजातंत्रके अविर्भावका स्वागत बजाना, बालसीनौर, बालसन, वनेड़ा, बांसवाड़ा, करते हैं। बरवाला, भोट, बिलखा, बगलरा, बरम्बा, बोनई ___ अतीतमें हम दोनों ही काफी अरसे तक पृष्ठभूमिमें खंभात, छगभारवर, चम्बा, छतरपुर, चूड़ा, छोठा रहे हैं । हम दोनोंही हर्ष और विषादमें भागीदार रहे उदैपुर, चौमू, चुइरवान दासपला, दतिया, धार हैं और स्वाधीनता प्राप्तिके समय हम दोनोंको अनेक धरमपुर, धौलतपुर, ध्रांगधरा, धौल, दुजाना, डूगर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.527251
Book TitleAnekant 1948 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJugalkishor Mukhtar
Publication Year1948
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size12 MB
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