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________________ अनेकान्त [ वर्ष ६ सफाई का न होना है। अच्छी कालोनी बसने और तब वहां आवश्यकताके योग्य आदमियोंकी कमी नहीं सफाईका समुचित प्रबन्ध रहनेपर यह शिकायतभी सह रहेगी। यह हमारा काम करनेसे पहले का भयमात्र ज ही दूर होसकती है । मालूम हुआ यहां दरियागञ्ज में है। अतः ऐसे भयोंको हृदयमें स्थान न देकर और पहले मच्छरोंका बड़ा उपद्रव था गवर्नमेंटने ऊपरसे भगवान महावीरका नाम लेकर काम प्रारम्भ कर गैस वगैरह छुड़वाकर उसको शांत कर दिया और दीजिये। आपको जरूर सफलता मिलेगी और यह अब वह बड़ी रौनकपर है और वहां बड़े बड़े कोठी कार्य आपके जीवनका एक अमर कार्य होगा। मैं बंगले तथा मकानात और बाजार बन गए हैं। ऐसी अपनी शक्तिके अनुसार हर तरहसे इस कार्य में आपका हालतमें यदि जरूरत पड़ी तो राजगृहमें भी वैसे हाथ बटाने के लिये तय्यार हूं। वृद्ध हो जानेपर भी उपायोंसे काम लिया जा सकेगा; परन्तु मुझे तो आप मुझमें इसके लिये कम उत्साह नहीं पाएंगे। जरूरत पड़ती हुई ही मालूम नहीं होती। साधारण जनजीवन और जैनसमाजके उत्थानके लिये मैं इसे सफाईके नियमोंका सख्तीके साथ पालन करने और उपयोगी समझता हूं। करानेसे ही सब कुछ ठीक-ठाक हो जायगा । लाला जुगलकिशोरजो ( काग़जी) आदि कुछ __अत: इसी पवित्र स्थानको फि से उज्जीवित सज्जनोंसे जो इस विषय में बातचीत हुई तो वे भी इस Relive करनेका श्रेय लीजिये, इसीके पुनरुत्थानमें विचारको पसन्द करते हैं और राजगृहको ही इसके अपनी शक्तिको लगाइये और इसीको जैन कालोनी लिये सर्वोत्तम स्थान समझते हैं। इस सुन्दर स्थान बनाइये । अन्यस्थानोंकी अपेक्षा यहां शीघ्र सफलताकी को छोडकर हमें दसरे स्थानकी तलाशमें इधर उधर प्राप्ति होगी। यहां ज़मीनका मिलना सुलभ है और का मिलना सुलभ ६ ओर भटकनेकी जरूरत नहीं। यह अच्छा मध्यस्थान कालोनो बसानेकी सूचनाके निकलते ही आपके नक्शे है-पटना, आरा आदि कितने ही बड़े बड़े नगर भी आदिके अनुसार मकानात बनानेवाले भी आसानीसे इसके आस पास हैं और पावापुर आदि कई तीर्थक्षेत्र मिल सकेंगे और उसके लिये आपको विशेष चिन्ता भी निकट में हैं। अत: इस विषय में विशेष विचार . नहीं करनी पड़ेगी। कितने ही लोग अपना रिटायर्ड करके अपना मत स्थिर कीजिये और फिर लिखिये । जीवन वहीं व्यतीत करेंगे और अपने लिये वहां यदि राजगहके लिये आपका मत स्थिर हो जाय तो मकानात स्थिर करेंगे। जिस संस्थाकी बुनियाद अभी पहले साह शान्तिप्रसादजीको प्रेरणा करके उन्हें वह कलकत्ते में डाली गई वह भी वहां अच्छी तरहसे चल जमींदारी खरीदवाइये. जिसे वे खरीदकर तीर्थक्षेत्रको सकेगी। कलकत्ते जैसे बड़े शहरोंका मोह छोड़िये देना चाहते हैं, तब वह जमीदारी कालोनीके काममें और इसे भी भुला दीजिये कि वहां अच्छे विद्वान नहीं आ सकेगी। मिलेंगे। जब आप कालोनी जैसा आयोजन करेंगे -जुगलकिशोर मुख्तार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.527251
Book TitleAnekant 1948 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJugalkishor Mukhtar
Publication Year1948
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size12 MB
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