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________________ Regd. No. L. 4328. विरोधोंका समन्वय हो सकता है तथा जो जीवा- लिये कटिबद्ध हो। त्माकी प्रगति एवं विकासका खास साधन है और भाषणोंका जनता पर अच्छा असर पड़ा और जिसका आश्रय पाकर अधमसे अधम मनुष्य एवं उसने अपनी भूल तथा ग़लतीको बहुत कुछ महपशु-पक्षी तक सभी जीव अपनी आत्माका उत्थान सूस किया। कर सकते हैं उसमें हम अनाभिज्ञ रहें, उसे स्वयं भाषणोंके अतिरिक्त गायनोंका भी अच्छा अमलमें न लाएँ और न दूसरोंको ही उस पर आनन्द रहा। मा० रामानन्दजीका महावीरके अमल करने दें, यह कितनी बड़ी लज्जा एवं खेद जीवन सम्बन्धमें बहुत ही अच्छा गायन और की बात है ! ऐसी हालतमें हमारा अपनेको प्रभावक उपदेश हुआ / चि० भरतचन्दका गायन ' वीरका अनुयायी उपासक था सेवक बतलाना बहुत ही सुन्दर एवं चित्ताकर्षक था / चि० भरतकितना हास्यजनक है उसे बतलानेकी जरूरत चन्दकी अवस्था इस समय 13 वर्षकी है, इतनी नहीं रहती / वीर-शासनका सच्चा उपासक छोटीसी वयमें वह गायनकलामें प्रवीण विद्वानकी या अनुयायी वही हो सकता है जो वीरके नक्शे भाँति मनोमोहक गाना गाता है। उसकी आवाज़ क़दम पर चलता हो / अथवा उनके सिद्धान्तों बहुत ही मधुर और सुरीली है और वह एक होनपर स्वयं अमल करता हुभा दूसरोंको भी अमल हार बालक जान पड़ता है / उसका भविष्य उज्ज्वल करनेके लिये प्रेरित करता हो, और जो अमल हो यही हमारी भावना है / इस तरह यह करनेको उद्यमी हो उन्हें सब प्रकारसे अपना सह- जल्सा बहुत ही शानदार एवं प्रभावक हुआ है। योग प्रदान करता हो और इस तरह तन मन धनसे बोरके सिद्धान्तोंका प्रचार करने करानेके -परमानन्द जैन शास्त्री वीर-सेवामन्दिरको सहायता हालमें वीरसेवा मन्दिर सरसावाको निम्न सज्जनोंकी ओरसे 48 रु० की सहायता प्राप्त हुई है, जिसके लिये दातार महानुभाष धन्यवादके पात्र हैं:-- 21) ला० मुरलीधर बनवारीलाल जैन कचौरा जि० इटावा (पिताश्रीके स्वर्गवासके समय निकाले हुए दानमेंसे) 15) ला• विश्वम्भरदास जिनेश्वरदास बजाज मैंसी जि० मुज्जफरनगर (वेदी प्रतिष्ठाके अवसर पर)। 7) बा. बास्मल उग्रसैन जैन, मगाधरी जि. अम्बाला (पुत्र विवाहकी खुशीमें) 5) ला• मनोहरलाल ताराचन्द जैन माइती बड़ौत नि मेरठ (विवाहकी खुशीमें) 48) अधिष्ठाता-'वीरसेवामंदिर सरसावा, जि० सहारनपुर / 'बीर प्रेस ऑफ इण्डिया' कनॉट सर्कस न्यू देहली में छपा /
SR No.527163
Book TitleAnekant 1940 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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