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________________ टिप्पणी-3 अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर श.... श..... श..... कोई है! -मन्मथ पाटनी * ह्माण्ड में हम अकेले नहीं हैं? ब्रह्माण्ड में हम ही नहीं हैं? ब्रह्माण्ड में और भी कोई है। हाँ, प्रश्न बड़ा पेचीदा है। ब्रह्माण्ड के इतने परिचित, अर्द्धपरिचित और पता नहीं तने अपरिचित ग्रहों में क्या जीवन सिर्फ पृथ्वी पर ही है? क्या बौद्धिक सम्पदा किसी और ग्रह पर उपस्थित नहीं है? शायद हॉ। शायद नहीं। जैन आगम के अनुसार भी ब्रह्माण्ड - कई ग्रहों पर जीवन है, बौद्धिकता है। और शायद इसी बात को यह घटना दर्शाती | यह घटना पृथ्वी पर घटित ऐसी अनोखी घटनाओं में से है जो हमारे मस्तिष्क को चने पर मजबूर कर देती है - क्या ऐसा सम्भव है? जरा देखें घटना क्या है और या दर्शाती है। 16 नवम्बर 1974, आज से लगभग 29 वर्ष पूर्व श्रीमान फ्रेंक ड्रेक और कार्ल गन ने मिलकर एक संदेश ब्रह्माण्ड के लिये बनाया और उसे अरसिबो ऑब्जरवेटरी, जो 5 प्यूरीटो रीको, दक्षिण अमेरिका में स्थित है, वहाँ से ब्रह्माण्ड में सितारों के लिये ट्रिलियन ट पॉवर से प्रसारित किया गया। श्री फ्रेंक ड्रेक इसी आब्जरवेटरी के डायरेक्टर हैं। जो संदेश प्रसारित किया गया था वह सितारों के समूह एम - 13 की ओर इंगित रके भेजा गया था जो कि 22800 प्रकाश वर्ष दूरी पर स्थित है और इस तारक- पुंज करीब 3 लाख तारे हैं। संदेश भेजा गया था उसकी भाषा कम्प्यूटर बायनरी भाषा । उसमें पृथ्वी पर मानव की उपस्थिति के बारे में था, हम कैसे दिखते हैं? हम कतनी ऊँचाई के हैं? हम कितने हैं? हमारे जैनेटिक्स किन केमिकल्स ब्लॉक के बने ? हमारे DNA की केमिकल रचना कैसी है? और क्या हैं? संदेश को थोड़ा विस्तृत रूप में देखें - अरसिबो संदेश प्रारम्भ होता है बाइनरी उन्टिंग सिस्टम की परिभाषा से जो कि सभी काउन्टिंग सिस्टम की मूलभूत है। बायनरी गिनने के लिये आपको उन गिनतियों को छोड़ना पड़ता है जिसमें एक और शून्य नहीं पाते हैं अर्थात् 2,3,4,5, नहीं लेना है ...... परन्तु 1, 10, 11, 100, 101 ..... त्यादि लेना है। इसके बाद DNA के बारे में डबल हेलीकल रचना बताई गई है। एक ड़ी की आकृति से आदमी को दर्शाया गया है। आदमी के दाहिनी तरफ पृथ्वी पर मनुष्य जो आबादी को दर्शाया गया है। बायीं तरफ आदमी की औसत ऊँचाई दर्शाई गई है। सके पीचे सौर - जगत को दर्शाया गया है। सूर्य एक तरफ और नौ दूसरे ग्रह दूसरी रफ दिखाये गये हैं। एक ग्रह बाहर निकला हुआ है, जिस पर हम हैं। आधार में अरसिबो लीस्कोप और उसके डायमीटर को दर्शाया गया है। इस संदेश को भेजने के करीब 27 र्षों बाद इसका उत्तर/प्रत्युत्तर 19 अगस्त 2001 को चिल बोल्टन रेडो दक्षिण इंग्लैण्ड को जमीन पर क्राप - सर्कल के रूप में प्राप्त हुआ। क्राप - सर्कल के बारे में विस्तृत जानकारी प्रर्हत् वचन के वर्ष 14, अंक 4, अक्टूबर - दिसम्बर 2002, पृष्ठ 95-86 पर दी गई क्राप फार्मेशन के रिसर्च स्कालर श्री पॉल विगय जहाँ क्राप - सर्कल बना हुआ था वहाँ गये। उन्होंने वहाँ जाकर देखा और बताया कि क्राप - सर्कल के द्वारा बनाये गये कोड अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 83 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
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