SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ की क्वालिटी अत्यन्त सुन्दर और बुद्धिमत्ता पूर्ण बनाई गई है। जिस जगह क्राप सर्कल का फार्मेशन हुआ उससे थोड़ी दूर पर ही क्राप - सर्कल बनने के एक सप्ताह पूर्व क्राप - सर्कल के रूप में एक आकृति दिखाई दी जो बायीं ओर से महिला सदृश्य और दाहिनी ओर से पुरुष सदृश्य दिखाई दे रही थी । हेलीकोप्टर से देखने पर वह आकृति लगभग वैसी ही थी जैसी संदेश में चौड़े मुँह वाले आदमी की दिखाई दे रही है। इससे यह लगता है कि संदेश भेजने वाले ने अपना परिचय फोटो के रूप में साथ में भेजा है। 16 नवम्बर 1974 को अरसिबो ऑब्जरवेटरी से सितारों को भेजे गये संदेश की प्रतिकृति घ ||HI-* हमारे संदेश चित्र के प्रत्युत्तर में जो संदेश चित्र प्राप्त हुआ उसमें कुछ अंतर के अतिरिक्त रूप / ढांचा तो वैसा ही था और प्रत्युत्तर भी उसी प्रकार में दिये गये थे। जो कुछ अन्तर थे, वे इस प्रकार थे नौ ग्रह तो दिखाये गये हैं गई है। वृहस्पति एक विशेष हीरे के तो उठे हुए ग्रह बताते हैं कि वहाँ पर जीवन है। 84 19 अगस्त 2001 को चितबोल्टन रेडो, साऊथ इंग्लैंड की जमीन पर फ्राप सर्कल के रूप में प्राप्त प्रत्युत्तर अन्य जानकारी इस प्रकार है वहाँ पर स्थित जीव की चमड़ी का रंग हल्का भूरा है, सिर बड़ा है, शरीर छोटा है, परन्तु हमारी तरह त्रिपरिमाण वाले जीव हैं। शायद अपने शरीर की जरूरत के लिये पोषक तत्व चमड़ी के द्वारा लेते हैं। एक तरफ के फेफड़ों से साँस लेते हैं और दूसरी तरफ के फेफड़ों से साँस छोड़ते हैं इससे लगता है कि उनका जीवन हमारी तरह कुछ निश्चित काल के लिये होता है। Jain Education International परन्तु उनमें ग्रह 3, 4, 5 की साईज बड़ी दिखाई आकार में दिखाया गया है। यदि डिकोडिंग सही है बुद्धिजीवी जीवन है और पृथ्वी, मंगल और बृहस्पति कॉस्मिक स्केल पर हमारी पृथ्वी HU-1 में आती है जहाँ विज्ञान है और जीवन कार्बन आधारित / आर्गेनिक केमेस्ट्री पर आधारित है। HU-2 दूसरे नम्बर की रचना है जहाँ जीवन कार्बन और सिलिका पर आधारित शरीर रचना है। जो लगता है कि संदेश देने वाले HU - 2 कॉस्मिक स्केल के हैं For Private & Personal Use Only संदेश प्राप्त हुआ, उससे क्योंकि क्राप सर्कल जिस अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy