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________________ से लाभ होना देखा गया है। यह कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं जिनका वैज्ञानिकों / चिकित्सकों ने स्वयं निरीक्षण किया है - 1. क्षय रोग में उपवास से फेफड़ों को बहुत लाभ होता है तथा फेफड़े ठीक हो जाते __ हैं। फेफड़ों के रोगों में थोड़े दिन का उपवास बहुत लाभकारी होता है! 2. उपवास से हृदय को खुब शक्ति मिलती है या हृदय मजबूत होता है। 3. उपवास से हृदय का बोझ हल्का हो जाता था उच्च रक्तचाप निश्चित ही कम हो जाता है। 17 4. उपवास से जठर को खुब आराम मिलता है और स्वयं ठीक होने लगता है। इससे पाचन सुधरता है, फैला हुआ जहर संकुचित होकर स्वाभाविक स्थिति में आ जाता है, अल्सर मिट जाता है, सूजन और जलन दूर हो जाती है। 5. कैंसर जैसे रोगों को भी उपवास द्वारा ठीक करने के कई उदाहरण मिलते हैं। 19 6. दमा, सन्धिवात, आधाशीशी अतिसार, दाद, खाज, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि, जननेन्द्रिय के रोग, लकवा, मूत्र पिण्ड के रोग, पित्ताशय की पथरी, छाती की गाँठ, बाँझपन आदि को भी उपवास द्वारा ठीक करने के कई उदाहरणों को डा. एच. एम. शेल्टन ने अपनी पुस्तक Fasting can save your life" में लिखा है। 20 7. श्री गिदवाणी ने अपने अनुभवों के आधार पर लिखा है कि अपने आहार को नियन्त्रित अथवा कम करने से घुटने के दर्द तथा आँख की खुजली को ठीक करा जा सकता है। इस प्रकार हम दखते हैं कि विभिन्न रोगों के उपचार में उपवास का बहुत महत्व है। रोग होने पर उपचार करना एक बात है। और कुछ ऐसे उपाय करना जिससे रोग ही उत्पन्न न हो दूसरी बात है। एक कहावत है - "Precaution is better than cure" (इलाज से अच्छा सावधानी है।) अत: अपने शरीर को निरोगी बनाये रखने के लिए समय - समय पर उपवास करते रहना चाहिए। उपवास के पश्चात् हमें एक विशेष बात का ध्यान रखना चाहिए। उपवास तोड़ने पर हमें तुरन्त खाने पर टूट नहीं पड़ना चाहिए। बल्कि बहुत ही हल्के भोजन के साथ ही उपवास तोड़ना चाहिए। यदि उपवास अधिक दिनों का है तो पहले हल्के पेय पदार्थ, जैसे - फलों के रस आदि, फिर दाल या दलिया का सूप या खिचड़ी आदि लेना चाहिए। फिर क्रमश: हल्के और कम भोजन से प्रारंभ करके सामान्य भोजन पर आना चाहिए। यदि कोई अधिक दिनों के उपवास के पश्चात् सीधे सामान्य भोजन पर उतर आता है तो उसे लाभ होने के बजाय हानि होने की पूरी संभावना होती है। व्रत-उपवासों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव कुछ समाजशास्त्रियों एवं मनोवैज्ञानिकों ने व्रत और उपवास का मनोवैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन किया है। उनका मानना है कि पर्व, व्रत और उपवास मनुष्य के मन पर एक सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।21 ये मानव की मनोवृत्तियों एवं विचारधाराओं में परिवर्तन लाते हैं। ये मन को शुद्ध करने के सशक्त साधन हैं। कई व्रतों से सम्बन्धित कुछ प्रेरणादायक कथायें जुड़ी रहती हैं। जब हम इन कथाओं को पड़ते हैं तो हमारे भाव भी शुभ कार्यों की ओर प्रवृत्त होने लगते हैं। कुछ व्रत - कथाओं 30 अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
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