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में वर्णन आता हैं कि व्रतों का ठीक प्रकार से पालन किया जाय तो वे स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाले होते हैं। इस प्रकार इन कथाओं से इच्छित फल प्राप्ति के लिए व्रत उपवास करने की प्रेरणा मिलती है।
इस प्रकार वैज्ञानिक दृष्टि से विचार करने पर हम पाते हैं कि आरोग्य एवं रोगमुक्ति के लिए भी व्रत और उपवास का बहुत महत्व है। साथ ही पारलौकिक सुख, शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति में भी ये बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यदि कोई इनके बारे में अधिक खोजबीन करे बगैर मात्र श्रद्धावश सम्यक् प्रकार से व्रत उपवास करता है तो भी उसका शरीर तो निरोगी बनेगा ही, साथ में वह स्वयं अनन्त सुख प्राप्त करने का अधिकारी भी बनता है।
सन्दर्भ -
1. 'जैनेन्द्र सिद्धांत कोश', भाग - 3, 2. वही
6. 'व्रत विधान संग्रह', पृ. 25 7. 'पातजंलि योग दर्शन'
3. वसुनन्दि, श्रावकाचार' गाथा सं. 286 4. 'पुरुषार्थ सिद्धयुपाय' श्लोक सं.
5. 'जैन दर्शन पारिभाषिक कोश
10. 'कुदरती उपचार 11. देखें, सन्दर्भ 9
12. देखें सन्दर्भ 8
8. प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा रोग मुक्ति' वी. पी. गिदवानी
9. आरोग्य आपका डा. चंचलमल चोरडिया
- गांधीजी
प्राप्त
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01.07.03
क्षु. जिनेन्द्र वर्णी, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली
13. The Hygienic system' Vol. III: Fasting & sunbathing by Dr. H.M. Shelton (4th Revised Edition 1963) : Publication : Dr. Shelton's Health Schhol, San Antonio, Texax (Page 79)
14. वही, पृ. 133
15. वही, पृ. 139
16. वही, पृ. 141
17, वही, पृ. 141
18. 'Fasting can save life' by Dr. H.M. Shelton.
19. देखें, सन्दर्भ 16
20. देखें, सन्दर्भ 18
21. 'सर्वोदयी जैन तंत्र'
Jain Education International
154 मुनि क्षमासागर
अर्हत् वचन, 15 ( 3 ), 2003
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डा. नन्दलाल जैन, टीकमगढ़
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