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________________ तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् पुरस्कारों हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित विगत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी निम्नांकित 2 वार्षिक पुरस्कारों हेतु तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ के सदस्यों से 31.08.03 तक सादे कागज पर पूर्ण विवरण सहित प्रविष्ठियाँ सादर आमंत्रित हैं1. स्व. चन्दारानी जैन, टिकैतनगर स्मृति विद्वत् महासंघ पुरस्कार - 2003 2. सौ. रूपाबाई जैन, सनावद विद्वत् महासंघ पुरस्कार - 2003 प्रत्येक पुरस्कार के अन्तर्गत रु. 11,000.00 की नगद राशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदानकर समारोह पूर्वक सम्मानित किया जाता है। पुरस्कार जैन धर्म साहित्य, संस्कृति के प्रचार - प्रसार, अध्ययन - अनुसंधान तथा विद्वत् महासंघ के घोषित उद्देश्यों के प्राप्ति में प्रदत्त सहयोग हेतु महासंघ के सदस्यों के लिये निर्धारित है। महासंघ के सदस्यों से प्रविष्टियाँ निम्नांकित पते पर भेजी जानी चाहिये।, डॉ. अनुपम जैन, महामंत्री ज्ञानछाया, डी-14, सुदामानगर, इन्दौर - 452 009 वर्ष 2003 के महावीर पुरस्कार एवं ब्र. पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया पुरस्कार - प्रबन्धकारिणी कमेटी, दिग. जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी द्वारा संचालित जैन विद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी के वर्ष 2003 के 'महावीर पुरस्कार' के लिये जैन धर्म, दर्शन, इतिहास, साहित्य, संस्कृति आदि से सम्बन्धित किसी भी विषय की पुस्तक/शोध प्रबन्ध की चार प्रतियाँ दिनांक 30 सितम्बर 2003 तक आमंत्रित हैं। इस पुरस्कार में प्रथम स्थान प्राप्त कृति को रु. 21,000.00 एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कृति को 'ब्र. पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार' प्रदान किया जायेगा जिसमें रु. 5001/- नगद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। 31 दिसम्बर 1999 के पश्चात प्रकाशित पुस्तक ही इसमें सम्मिलित की जा सकती ज्ञातव्य है कि वर्ष 2002 का महावीर पुरस्कार डॉ. शैलेन्द्रकुमार रस्तोगी, राजाबाजार, लखनऊ-3 (उ.प्र.) को उनकी कृति 'लखनऊ संग्रहालय की जैन प्रतिमाएँ (एक प्रतिमा शास्त्रीय अध्ययन) तथा ब्र. पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार डॉ. उदयचन्द जैन, वाराणसी को उनकी कृति न्यायकुमुदचन्द्र परिशीलन पर दिनांक 17 अप्रैल 2003 को श्रीमहावीरजी में महावीर जयंती के वार्षिक मेले के अवसर पर प्रदान किया गया। पुरस्कार आवेदन के लिये नियमावली तथा आवेदन पत्र संस्थान कार्यालय, दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवासाई रामसिंह रोड़, जयपुर - 4 से प्राप्त किया जा सकता है। - डॉ. कमलचन्द सोगाणी, संयोजक स्वयंभू पुरस्कार - 2003 दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी द्वारा संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर के वर्ष 2003 के स्वयंभू पुरस्कार के लिये अपभ्रंश से संबंधित विषय पर हिन्दी अथवा अंग्रेजी में रचित रचनाओं की चार प्रतियाँ 30 सितम्बर 2003 तक आमंत्रित हैं। इस पुरस्कार में रु. 21,000.00 की नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। 31 दिसम्बर, 1997 से पूर्व प्रकाशित तथा पहले से पुरस्कृत कृतियाँ सम्मिलित नहीं की जायेंगी। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2002 का पुरस्कार डॉ. कस्तूरचन्द्र जैन 'सुमन', श्रीमहावीरजी को उनकी कृति 'मइंकलेहा कहा' पर दिनोंक 17.4.03 को श्रीमहावीरजी में महावीर जयंती के मेले के अवसर पर प्रदान किया गया। नियमावली तथा आवेदन पत्र अकादमी कार्यालय, दिग. जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवाई मानसिंह रोड़, जयपुर - 4 से प्राप्त की जा सकती है। - डॉ. कमलचन्द सोगाणी, संयोजक 15 (3), 2003 131 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
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