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________________ पांडुलिपि सूचीकरण प्रशिक्षण शिविर __ जैन पांडुलिपियों की राष्ट्रीय पंजी निर्माण (देखें पृ. 76) की श्रृंखला में मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र अंचल में कार्य को गति देने हेतु कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा 16- 18 मई एवं 22-24 जुलाई को प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये गये। संलग्न चित्र दिनांक 22 जुलाई 03 को डॉ. महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज' एवं ब्र. रजनी जैन द्वारा दिये जा रहे प्रशिक्षण का है। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के मानद सचिव डॉ. अनुपम जैन ने सम्पूर्ण परियोजना एवं इसके राष्ट्रीय महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा प्रशिक्षकों का परिचय कराया। डॉ. महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज' ने पांडुलिपियों के सूचीकरण में आने वाली व्यावहारिक दिक्कतों यथा स्पष्टत: काल न देकर शब्द संख्या पद्धति में काल दिये होने पर उनके निर्धारण की रीति, विषय सूची के निर्माण, प्रथम पंक्ति एवं अंतिम पंक्ति के चयन की रीति पर प्रकाश डाला। ब्र. रजनीजी ने विविध उदाहरणों के माध्यम से विषय को विकसित किया। आपने विभिन्न भाषाओं को पहचानने की सुगम रीतियों को बताते हुए विवरण तैयार करते समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी। परियोजना की प्रबन्ध व्यवस्था से सम्बद्ध श्री अरविन्दकुमार जैन एवं डॉ. सुशीला सालगिया ने एक - एक मन्दिर की पांडुलिपियों की प्रविष्टियाँ पूर्ण होने पर उनके प्रविष्टि फार्म को जमा करने की रीति एवं अन्य प्रशासनिक व्यवस्थाओं की जानकारी दी। अगला प्रशिक्षण शिविर 19 से 21 सितम्बर को आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। प्रशिक्षित प्रविष्टिकर्ताओं के पुनर्मूल्यांकन एवं सतत प्रशिक्षण की भी ज्ञानपीठ में व्यवस्था की गई है। R 132 अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
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