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हैं और 1 को दहाई में ले जाते हैं अर्थात् 5 में जोड़ते हैं, इस प्रकार 5 को मिटाकर उसके स्थान में 6 लिखते हैं। पाटी पर अब निम्न संख्या होती है।
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1620
जो कि इष्ट गुणनफल है। दहाई में जोड़े जाने वाले अंक पाटी पर अन्यत्र लिख लिये जाते हैं और उनका जोड़ हो चुकने पर मिटा दिये जाते हैं।
(ब) दूसरी विधि में (गुणक के अंकों द्वारा) आंशिक गुणनफल क्रम विधि से किया जा सकता है। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि आंशिक गुणनफल उत्क्रम विधि से करने की परिपाटी थी ।
उदाहरण
हैं
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गुणक
गुण्य
324
गुणन का आरम्भ गुणक के अन्तिम स्थान से होता है। 3 x 7 - 21; 1 को गुणक 7 के नीचे रखते हैं और 2 को उसकी बायीं ओर निम्न प्रकार से
753
21 324
5 को गुण्य 5 के नीचे रखते हैं और 1 को अर्थात् 1 को मिटाकर उसके स्थान में योगफल होती हैं -
इसके बाद 3 x 5 = 15; दायीं ओर रखते हुए 1 में जोड़ देते हैं 2 को लिखते हैं। अब पाटी पर निम्न संख्याएँ
324 को 753 से गुणा करो गुणक और गुण्य निम्न क्रम से रखे जाते हैं
753
18
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753
225324
अब 3 x 39 गुण्य के 3 को मिटाकर उसके स्थान में 9 को लिखते
753
225924
अब गुणक को एक स्थान दाहिनी ओर हटाते हैं।
753 225924
अब 7 x 2 = 14; 4 को 7 के नीचे वाले 5 में और 1 को 5 के बायीं ओर के 2 में जोड़ते हैं।
753 239924
अब 5 x 2 = 10 ; इस 10 को 5 के नीचे वाले अंकों में जोड़ते हैं -
753 240924
अब, 2 x 3 = 6; इस 6 को 3 के नीचे वाले 2 को मिटा कर उसके स्थान में रखते हैं।
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अर्हत् वचन, 14 (23), 2002
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