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________________ 2 = 6 ; इस 6 को 2 के नीचे लिखते हुए 6 में जोड़ने पर 12 प्राप्त होता है। 6 को मिटा कर उस स्थान पर 2 लिख देते हैं। 1 को आगे ले जाते हैं। इसके बाद 3 1 = 4 3 को मिटाकर उसके स्थान पर 14 को फिर एक स्थान बायीं ओर हटाकर लिखते हैं। अब पाटी पर निम्नलिखित संख्याएँ होती हैं = 33+ (आगे ले जाया गया) ; - x 1 = = 2; 2 + 4 = अब 2 x 1 लिखते हैं। 1 x 1 1; को 6 के जाने के कारण, गुणक 12 को मिटा देते है - 1620 इस प्रकार 12 और 135 संख्याओं का हनन' हो गया और एक नयी संख्या 1620 'प्रत्युत्पन्न' हो गई। कभी कभी गुण्य के किसी अंक को गुणक से गुणा करने पर गुणनफल गुणक के अन्तिम स्थान से आगे निकल जाता है। ऐसी परिस्थिति में आंशिक गुणनफल का अन्तिम अंक अन्यत्र लिख लिया जाता है। 135 को 99 से गुणा करने पर इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा। - उत्क्रम (विलोम) विधि 12 1420 = 6 ; 4 को मिटाकर उसके स्थान पर 6 बायीं ओर लिखते हैं। अब क्रिया समाप्त हो हैं और पाटी पर निम्नलिखित संख्या शेष रहती - यह विधि दो प्रकार से प्रयोग की जाती है (अ) पहली विधि में संख्याएँ निम्न प्रकार से लिखी जाती हैं गुणक गुण्य Jain Education International - 12 135 इस प्रकार 1 x 2 गुणन का आरम्भ गुण्य के अंतिम अंक से होता है। 21 को मिटाकर उसके स्थान पर 2 लिखा जाता है, इसके बाद 1 x 1 = 1; यह 1 उसके बायीं ओर लिखा जाता है। इसके बाद गुणक 12 को एक स्थान दाहिनी ओर हटाते हैं। पाटी पर अब निम्न संख्याएँ होती हैं 12 1235 = अब 3 x 2 6 3 को मिटाकर उसके स्थान पर 6 लिखते हैं। अब 3 x 1 = 3 और 3 + 2 2 को मिटाकर उसके स्थान में 5 लिखते हैं। इसके बाद गुणक को पुनः एक स्थान दाहिनी ओर हटाते हैं। पाटी पर अब निम्न संख्याएँ होती = 5 हैं - 12 1565 अब, 5 x 2 = 105 को मिटाकर उसके स्थान पर 0 लिखते हैं। अब 5 x 1 = 5, 5 + 1 = 66 + 6 = 12; 6 को मिटाकर उसके स्थान पर 2 रखते अर्हत् वचन, 14 (23). 2002 17 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526554
Book TitleArhat Vachan 2002 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size9 MB
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