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एवं पूर्व राजदूत डॉ. एन. पी. जैन उपस्थित थे। इस सत्र में श्रीमती सुमन जैन- इन्दौर, प्रो. एस. के. बंडी - इन्दौर, श्रीमती आशा जैन - दिल्ली, इंजी. जैन श्री कैलाश वेद - इन्दौर, श्री निर्मल जैन - सतना एवं डॉ. शेखरचन्द जैन- अहमदाबाद ने आयोजक संस्थाओं का परिचय दिया। श्रीमती मीना विनायक्या ने मंचासीन अतिथियों का परिचय तथा अर्हत् वचन सम्पादक मंडल के सदस्य श्री सूरजमल बोबरा ने संगोष्ठी की पृष्ठभूमि एवं आगामी सत्रों की आयोजना पर प्रकाश हाला।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि यदि देश की समस्त स्त्रियाँ सीता बन जायें तो देश के पुरुष स्वयं ही राम बन जायेंगे। आज आवश्यकता परम्पराओं को तोड़ने की नहीं वरन् आवश्यकतानुसार जोड़ने की है। उन्होंने सस्कार निर्माण पर विशेष बल दिया। अपने विषय को स्पष्ट करने हेतु उन्होंने अनेकों उदाहरण प्रस्तुत किये।
परमपूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के आशीर्वाद सहित पधारी संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहनों (कु.) आस्थाजी एवं (कु.) चन्द्रिकाजी ने महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर की विशाल आमंत्रण पत्रिका का विमोचन मुख्य अतिथि के हाथों कराया। साथ ही अतिथियों को कुण्डलपुर के राजकुमार - महावीर का चित्र भी समर्पित किया।
मंचासीन संगोष्ठी के संरक्षक श्री दिग्विजयसिंह जैन ने गणिनी ज्ञानमती प्राकृत शोधपीठ, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर के इन्दौर केन्द्र के विकास हेतु सुदामानगर में एक भूखण्ड के दान की घोषणा की । एतदर्थ दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष श्री हीरालालजी झाँझरी द्वारा श्री दिग्विजयसिंह जैन का पुष्पहार एवं श्रीफल समर्पित कर सम्मान किया।
इस अवसर पर ऋषभ देशना के फरवरी-2002 अंक, संगोष्ठी में पढ़े जाने वाले आलेखों की सारांश पस्तिका तथा डॉ. एन. पी. जैन द्वारा लिखित एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा प्रकाशित पुस्तक - Ahimsa-The Ultimate Winner का विमोचन अतिथियों
द्वारा किया गया। सत्र का संचालन अर्हत् वचन के सम्पादक डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर ने किया एवं आभार माना महिला संगठन इन्दौर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती लीला जैन ने।
इसी अवसर पर जैन इतिहास के दुर्लभ चित्रों की एक भव्य प्रदर्शनी का आयोजन श्री सूरजमल बोबरा के सौजन्य से किया गया। प्रदर्शनी को दर्शकों ने रूचिपूर्वक देखकर सराहा। प्रदर्शनी में प्रदर्शित सामग्री का परिचय देने वाला फोल्डर भी निकाला गया।
भ्रूण हत्या निषेध आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य में भ्रूण हत्या न करने एवं न प्रेरणा देने वाले 26 प्रख्यात चिकित्सकों का सम्मान करने के साथ ही 2600 महिलाओं द्वारा भरे गये संकल्प पत्र आन्दोलन की प्रेरिका पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहनों को समर्पित किये गये।
संगोष्ठी में विशेष रूप से पधारे Jain Academic Foundation of North America (JAFNA) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. दिलीप बोबरा ने डॉ. अनुपम जैन के प्रधान सम्पादकत्व में भगवान महावीर के जीवन के सभी पहलुओं पर एक प्रामाणिक पुस्तक के सृजन एवं प्रकाशन की घोषणा की। इसमें गणिनी ज्ञानमती प्राकृत शोधपीठ - हस्तिनापुर, तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ एवं अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महिला संगठन में से प्रत्येक
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अर्हत् वचन, 14 (1), 2002
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