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अर्हत् वचन । कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर)
संक्षिप्त आख्या भगवान महावीर : जीवन एवं दर्शन राष्ट्रीय संगोष्ठी - इन्दौर, 24 - 25 फरवरी 2002
- सूरजमल बोबरा*
अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महिला संगठन से सम्बद्ध दिगम्बर जैन महिला संगठन इन्दौर द्वारा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय - इन्दौर, अ. भा. दि. जैन महिला संगठन, दिगम्बर जैन समाज - इन्दौर, गणिनी ज्ञानमती प्राकृत शोधपीठ - हस्तिनापुर एवं तीर्थकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ के सहयोग से 'भगवान महावीर : जीवन एवं दर्शन' शीर्षक द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 24 - 25 फरवरी 2002 को इन्दौर प्रीमियर कोआपरेटिव बैंक लि., महारानी रोड़, इन्दौर के भव्य सभागृह में आयोजित की गई। संगोष्ठी के उद्घाटन एवं समापन सत्रों के अतिरिक्त सम्पन्न 'भ्रूण हत्या एवं उसके दुष्प्रभाव', 'भगवान महावीर एवं जन्मभूमि कुण्डलपुर' 'जैन इतिहास के उपेक्षित पहलू', तथा 'जैनधर्म की वैज्ञानिकता' शीर्षक चार सत्रों में 40 वक्ताओं ने अपने आलेखों का वाचन किया जिसमें 88 विद्वान्, नेतागण सम्मिलित हुए। श्रीमती सुमन जैन की अध्यक्षता एवं सूरजमल बोबरा के महामंत्रित्व में गठित आयोजन समिति ने सम्पूर्ण कार्यक्रम की प्रभावी संयोजना की। संगोष्ठी के संयोजक एवं प्रमुख परामर्शदाता कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के मानद सचिव डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर थे।
महावीर : जीवन एवं दर्शन व संगोष्ठी, इन्दौर 24-25 फरवरी 2002
दि.जैन
संगठन से साझा काय
उद्घाटन सत्र में मंच का दृश्य केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सुमित्रा महाजन के मुख्य आतिथ्य तथा न्यायमूर्ति श्री एन. के. जैन, म.प्र. उच्च न्यायालय की अध्यक्षता में सम्पन्न उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अति के रूप में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के अध्यक्ष श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल
अर्हत् वचन, 14 (1), 2002
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