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________________ 1. संपूर्ण तंत्रिका जाल कार्य एक ऐसी समान विभव वाली अभिन्न प्रथमत: प्रणाली है जिसमें गतिशील संरचनाएं दूर स्थित बिन्दुओं को सामान्य कार्य हेत जोड़ती है। ये संरचनाएं जटिल, लचीली और स्व-नियमित होती हैं। 2. तंत्रिका जाल पूर्व नियोजित रूप से तार संबंधित एवं निश्चायक लक्षण वाला होता है। जब इनके तंत्रिका संगमों में परिवर्तन होते हैं तो उन पर दीर्घ अवधि वाली स्मृति आश्रित होती है। मस्तिष्क के निषेक विभाजित नहीं होते है किन्तु वे नई शाखाओं में उगते हैं। ज्यों-ज्यों ये उम्र पाकर बढ़ते हैं त्यों-त्यों सीखने की क्षमता. नई योग्यताएं विकसित हैं। यदि निरन्तर शाखा उत्पादन एवं तंत्रिका -निषेकों में पारस्परिक जोड़ स्मृति की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं, तो उनका सम्बन्ध अनुभव (experience) से होना चाहिये। प्रयोगों के आधार पर जोड़ों की क्षमता अनुभव के अनुसार बढ़ती देखी गयी है। मस्तिष्क में ग्लिया (glia) नामक अनेक तंत्रिका -बंध निषेक होते हैं। ग्लिया के आव्यूह बनते हैं जिनमें तंत्रिका - निषेक जुड़े होते हैं। ये तंत्रिका - निषेक शाखाओं को सही जोड़ों को बनाने में गाइड (निदेशक) का कार्य करते हैं - ऐसा प्रस्तावित है। ग्लिया विभाजित होते हैं किन्तु तंत्रिका - निषेक नहीं। विद्युत क्रियाशीलता जो तंत्रिका निषेक में होती है वह ग्लिया के चारों ओर उद्दीपन कर ग्लिया की संख्या बढ़ाकर कुछ जोड़ बढ़ा सकती है। यह मात्र अनुमान है। स्मृति का स्थानीकरण (Localisation of memory) : यह न जानते हुए भी कि स्मृति के चिन्ह क्या हैं? क्या हम कह सकते हैं कि वे कहाँ हैं। पशु के संवेदी (sensory) और प्रेरक (motor) कार्यों को प्रमस्तिष्क वल्कुट के चिन्हित भागों में रहने वाले संवेदी तंत्रिका - निषेक नियंत्रित करते हैं। दृष्टि से संबंधित निषेक संवेदी आसय, जैसे आकार, वर्ण, गमन आदि को विश्लेषित करते हैं। और वे स्तम्भों और पंक्तियों में व्यवस्थित प्रणाली में रहते हैं। मानवीय वल्कुट के संवेदी एवं प्रेरक व्यवहार के सुनिश्चित क्षेत्र में दृष्टव्य हैं। भाषण की स्मृति का सम्बन्ध होने से उस स्थान से सम्बन्धित है। उसका स्थान दायें मस्तिष्क में होता है। थेलेमस में ट्यूमर वालों को विशेष भाषण दोष भी देखा गया है। स्मृति का जीव रसायन : जब तंत्रिका निषेकों की विद्युतीय क्रियाशीलता बढ़ती है तब RNA (Ribonuclieic Acid) और प्रोटीन में वृद्धि होती है। जिस प्रकार DNA या उसके RNA अनुलेखन की मूल धारा के रूप में प्रोटीनों की संरचना आनुवांशिक कुटित (genetic coded) हो जाती है ठीक उसी प्रकार स्मृति संभवत: विशेष प्रकार के आर.एन.ए. या RNA रूप में कूटित (coded) होती हो। ऐसा कुछ व्यकितयों का मत है कि RNA की मूल - धारा का निश्चय तंत्रिका - निषकों की विद्युतीय क्रियाशीलता से होता है। RNA का सूची वेथ (injection) वृद्धों को देने पर स्मृति बढ़ती है। इससे स्मृति और भाषा - व्यवहार में सम्बन्ध स्पष्ट होता है। प्राप्त -9.5.2001 86 अर्हत् वचन, 14 (1), 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526553
Book TitleArhat Vachan 2002 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size7 MB
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