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कत्ते को अनेक प्रकार से प्रतिबंधित किया जा सकता है। यही कर्म बंधन प्रक्रिया का एक स्वरूप कहा जा सकता है।
तथ्य : प्रतिबंधित (conditioned response) का सीखना अत्यंत प्रचलित है, विस्तृत है. और सभी तंत्रिकीय व्यवस्था (neural organisation) का एक मूलभुत गुण प्रतीत होता है। पावलोव ने प्रतिबंधन (conditioning) को पशु और मानव के व्यवहार का सामान्य मिश्रण बतलाया। यह चिरसम्मत प्रतिबंधन (classical conditioning) है। लार टपकना, आंख पुतली का सिकुड़ना आदि ऐसे प्रकार के प्रतिबंधन हैं।
दूसरे प्रकार का प्रतिबंधन है प्रक्रियात्मक प्रतिबंधन (operant conditioning) इसके लिए दंड एवं पारितोषिक के द्वारा पशु को असाधारण व्यवहार सिखलाया जाता है। जैसे, केंचुए की चाल दाहिनी ओर करना सिखाना, तोते को भाषा सिखाना। सर्कस आदि में इसका प्रयोग होता है। अत्यंत भयानक उपलब्धियाँ भी इस प्रणाली प्रतिबन्धन कदमों (systemetic conditioning steps) के द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। ये यांत्रिक होते हैं। जैसे बालक या चिंपैजी भी पर किये गये सीखना जैसे प्रतिबंधन प्रयोग दिखलाते हैं कि तंत्रिकीय यंत्र अस्तित्व में है जो संवेदी - प्रेरक (sensory-motor) की नवीन बनावटें/ अभिरचनाएं (patterns) स्थापित कर देती हैं। इस प्रतिबंधन (conditioning) के द्वारा ट्रिगर की जाने वाली संवेदी आश्रय (input) और चुना गया व्यावहारिक (behavioral) उदय (output) के बीज जो जुड़ाव (connections) होते हैं वे अन्य विकल्प प्रेरक प्रोग्रामों की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हो सकते हैं। अत: स्मृति का आधार, प्रतिबंधन के साथ होने वाले संभव तंत्रिकीय परिवर्तन को खोजा जाना चाहिए। इससे सीखने और स्मृति के स्वरूप सम्बन्धी सुराग (clues) प्राप्त होने की आशा है। सीखना और स्मति के विद्युतीय सहवर्ती पदार्थ (concommitants) तंत्रिका - निषेकों की विद्युतीय सक्रियता भी यथायोग्य (appropriate) उद्दीपकों (stimuli) की जोड़ियों द्वारा प्रतिबंधित की जा सकती है। गलगंड (thalamus) (कशेरूकी के अग्र मस्तिष्क के भाग में एक मुख्य संवेदी समन्वयन भाग) की केन्द्रिक नाभि (central nucleus) की जघन्य बारंबारता वाला उद्दीपन, सतही विभव (potential) या अनुभाग में संक्षिप्त हटाव कर देता है। यदि विद्युत उद्दीपन को आवाज के स्वर (tone) के साथ बारबार जोड़ा जाये तो प्राय: 30 प्रयासों के बाद गलगंड के निषेक मात्र आवाज के प्रति दायित्वशील हो जाते हैं। इस प्रकार के तंत्रिकीय प्रतिबंधन के अन्य प्रयोग और उदाहरण हैं। यथा : खरगोश को प्रकाश द्वारा पंजा उठवा देना। दृश्यमान मस्तिष्क प्रभाग में (visual cortex) के कुछ भागों में ऋणात्मक विद्युत आवेश देने पर, विद्युत उद्दीपन से प्राप्त अनुभव के धारण को अवरूद्ध (boick) किया जा सकता है। मस्तिष्क के किसी क्षेत्र के तंत्रिका - निषेकों (nurons) में अन्य दीर्घकालीन अनुभागीय परिवर्तन तथा उत्तेजक एवं रोधक (excitatory & inhibitory) पश्च तंत्रिकीय जोड़ अनुभाग का मिला जुला प्रतिनिधित्व विद्युतीय सकेत या धीमी तरंगें करती प्रतीत हई है। ये प्रतिबंधन के समय प्राप्त भीतरी मस्तिष्क की लय या ताल (rhythm) रूप या तुल्यकालिकता (synchrony) की तलों (levels) में होने वाले परिवर्तनों के रूप में परीक्षित किये गये हैं। प्रतिबंधित अनुक्रियाओं की स्थापना से जुड़े अनुभाग में भी इसी प्रकार के लाक्षणिक परिवर्तन देखे गये हैं।
तंत्रिका के जोड़ों का निर्माण : दीर्घ अवधि वाली स्मृति यांत्रिकी और तंत्रिका निषेकों के बीच नयी संरचनामय जोड़ों पर विचार करें। यद्यपि नाम कर्म निषेकों (genes) द्वारा तंत्रिका मंडल का समग्र संगठन विवेचित होता है, किन्तु विभिन्न जातियों के लिए यह भिन्न-भिन्न होता है।
तंत्रिका जोड़ों के सम्बन्ध में दो भिन्न मत है :
अर्हत् वचन, 14 (1), 2002
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