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कोई निषेक (neuron) जब किसी " उद्दीपक" (stimulus) का निमित्त पाता है तो उसकी दागने की दर या तो बढ़ती है या घटती है। किन्तु प्रत्येक व्यक्तिश: संकेत अन्य प्रत्येक संकेत के समान होता है। चूंकि कर्म - अनुभाग (action-potential) समयानुसार अनियमित रूप से बंटे रहते हैं, अत: व्यक्तिश: निषेकों (neurons) की संकेतक बनावटें (patterns) एक दूसरे की पहिचान में न आने वाली होती हैं, जिनकी दी गई परास (range) में स्थित विशेष दागने वाली आवृत्तियाँ (बारंबारतायें) (Frequencies) हुआ करती हैं। लगभग 50 वर्ष पूर्व शेरिंगटन ने एक विशेष तंत्रिका निषेक (neuron) के विषय में देखा कि उसका महत्व संकेतक बनावटों पर निर्भर नहीं होता किन्तु उन जोड़ों से सम्बन्धित होता है जो दूसरे तंत्रिका - निषेकों को उस तंत्रिका - निषेक से जोड़ते हैं।
इस नियम के अपवाद वे तंत्रिका - निषेक हो सकते हैं जो मियादी (periodic) अथवा भावित (phasic) संकेत उत्पन्न करते हों । वस्तुतः प्रायः सभी तंत्रिका- निषेक समान रूप से दाग क्रिया करते हैं। इस सम्बन्ध में "Biochemistry of Memory ” पुस्तक दृष्टव्य है।
जब कर्म अनुभाग (action-potential) जावक तंत्रिका तन्तु (axon) के अंतिम छोर पर पहुँचता है तो वह तंत्रिका - संगम ( synapse) जोड़ से मुठभेड़ ( encounters) करता है। तंत्रिका - संगम का पूर्व भाग एक उच्च स्तरीय विशिष्ट संरचना होता है जिसमें रासायनिक पदार्थ, "न्यूरो ट्रांस्मिटर या तंत्रिका - प्रेषक" होता है। जावक तंत्रिका तन्तु (axon ) के अंत वाले तंत्रिका संकेत उसके विद्युत अनुभाग (potential) को बदल देते हैं। और चूंकि जावक तंत्रिका तन्तु का सिरा विध्रुवीकृत (depolarised) हो जाता है, वह ऐसी नपी-तुली मात्रा में रासायनिक प्रेषक को विमुक्त करता जाता है जो दागने की आवृत्ति के अनुपात में होती है। प्रेषक भी पश्च तंत्रिका संगम (post synaptic) झिल्ली पर क्रिया करता है और संकेत - ग्राहक तंत्रिका - निषेक (neuron) में अनुभाग (potential) परिवर्तन कर देता है।
तंत्रिका संगम जोड़ विभिन्न प्रकार के होते हैं। प्रत्येक में एक लाक्षणिक संप्रेषक (transmitter) का प्रयोग होता है। कुछ तंत्रिका संगम विद्युतीय रूप से युग्मित ( coupled ) होती हैं और तंत्रिका संगम के पूर्व भागांत में विध्रुवीकरण जोड़ के पार फैल जाता है, जबकि कोई रासायनिक संप्रेषणों द्वारा कोई मध्यस्थता नहीं होती है। रासायनिक तथा विद्युतीय तंत्रिका - संगमें (synapses) संकेतों का "सर्वअस्ति या सर्वनास्ति" (all or none) के अंत का बोध देती हैं। इस बिन्दु पर दागीय बारंबारता (frequency) परिवर्तित की जाती है, ऐसी एक विद्युतीय अनुभाग (electric potential) में, जो निष्क्रिय (passive) रूप से पश्च तंत्रिका संगम (post- synapse) में फैलता चला जाता है। इस प्रकार हम दूसरे प्रकार के विद्युतीय संकेतों को पाते हैं जिनसे तंत्रिका - निषेकों को निपटना पड़ता है। ये अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
ग्राहक तंत्रिका - निषेकों के आवक तंत्रिका तन्तु (dendrite) में तंत्रिका संगम अनुभाग (potentials) में तीन महत्वपूर्ण गुण होते हैं।
1. प्रत्येक तंत्रिका - संगम संकेत का लाक्षणिक चिन्ह होता है, अनुभाग (potential) या तो उदय ( विध्रुवित) होता है अथवा गिरता (अतिध्रुवित) (hyperpolarise) है। जो तंत्रिका संगमें विध्रुवीकरण करती हैं वे उत्तेजक (+) होती हैं, और जो अतिध्रुवीकरण करती हैं वे अवरोधक (-) (resistent) होती हैं।
2. जावक - तन्तु में सर्वास्ति या सर्वनास्ति दागन (firing) से विलग अनुक्रम में या क्रमबद्ध ( graded ) होते हैं; संकेत का मान में भी हो सकता है, जो पूर्व- तंत्रिका संगम जावक कुछ में होने वाले विसर्जन (निर्जरन) (discharge) पर निर्भर रहता है।
तंत्रिका
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तंत्रिका संगमों के अनुभाग निर्दिष्ट (prescribed ) रेंज
तन्तु (presynaptic-axon)
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अर्हत् वचन, 14 (1), 2002
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