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सम्पन्न केन्द्रीय प्रयोगशाला स्थापित करें जिसमें जैन समाज के शीर्षस्थ वैज्ञानिकों को पूरे सुविधा साधन उपलब्ध कराये जायें और फिर उन सारे तथ्यों को जो 'तत्त्वार्थ सत्र' जैसे ग्रन्थों तथा उसकी टीकाओं से भरे पड़े हैं, पृष्ट किया जाये। सन्दर्भ 1. तंत वीणादिक ज्ञेयं विततं पटहा दिकम्
धन तु कांस्यतालादि सुषिरं वंशादिके विदुः:।। ब्रह्मदक संग्रह टीका, 13, पृ. 51. 2. साक्षर एवं भ वर्ण समूहान्नैव दिनार्थगतिर्जगतिस्मात्। महापुराण, 23/73 एवं
The Psychogenetic Foundation of Language by G. Revers, Lingua, PP. 318, 1955. 3. सद्दो संघप्यभवो खंधो परमाणु संगधादो।
पट्टेसु तेसु जायदि सददो उप्पादगो णियदो|आचार्य कुन्दकुन्द पंचास्तिकाय, 79. 4. प्रोक्ता शब्दा दि मन्नस्तु पुद्गला स्कंध भदत:
तथा प्रमाण सद्भावादन्यथा तद्भावत्। वृहद जैन शब्दार्णव, वि.पृ. 540. 5. पंचास्तिकाय टीका ब्र. शीतलप्रसाद, सूरत, पृ. 348.
(ब) प्राकृते संस्कृते वापि स्वयं प्रोक्त स्वयम्भुवा॥ पाणनि शिक्षा. 3
(स) अकार: सर्ववर्णाग्र: प्रकारा परमः शिवः। आधग्रध्येन संयोगादह मित्येवजायते नन्दिकेश्वर काशिका 4. 6. तत्वार्थ सूत्र, पंचम अध्याय, सूत्र 24, उत्तराध्ययन 28, गाथा 12 - 13. 7. आदिपुराण, जिनसेन, 30 8. श्रीमद् भागवत, 5/31/34. 9. नादश्चन्द्र समाकारी बिन्दुर्नालसमप्रभ कलारूण समाक्रांतं स्वर्णय: सर्वतोमुखः। 12, ऋषिमंडल स्तोत्र। 10. संगीतोपनिषत्साराद्वार, 1/25 - 27, गायकवाड़ ओरियन्टल सीरीज, बड़ोदा। एवं
E. SAPIR - A study of Phonetic symbosin, PP 61 - 72., University of California, 1949.
प्राप्त -5.4.2001
JINAMANJARI
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जैन विद्या का पठनीय षट्मासिक
JINAMANJARI Editor - S.A. Bhuvanendra Kumar Periodicity . Bi-annual (April & October) Publisher - Brahmi Society, Canada-U.S.A. Contact
Dr. S.A. Bhuvanendra Kumar 4665, Moccasin Trail,
MISSISSAUGA, ANTARIO, Canada 14z2w5
This
Anur Examines Expressions
Emotions Of Jaina Life & Times
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अर्हत् वचन, 14 (1), 2002
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