________________
गणित
ठीक
नारायण ने अपनी का जो सूत्र दिया है वह कि उन्होंने महावीर के मूल सूत्र में छपे अर्हत् वचन, वर्ष - 4, अंक
नारायण ने एक अन्य परिवर्तन भी किया । वक्रीय बहुभुज के लिये उन्होंने अगले सूत्र ( IV, 16 ) में निम्नलिखित नियम दिये
B = (p/2) 2. (n-1)/9n
B = A/3
अथवा
जहाँ
(11)
(12)
p = d1 + d2 +
(13)
= nd, समान वृत्तों के लिये।
(14)
तथा A का मान सूत्र ( 10 ) से लिया गया। यहाँ एक प्रश्न उठता है कि महावीर को सूत्र ( 7 ) तथा नारायण को सूत्र ( 12 ) कैसे प्राप्त हुए और उनमें कौन ज्यादा व्यावहारिक है। इसे समझने के लिये हम पहले वृत्त के उस भाग (sector ) का क्षेत्रफल निकालेंगे जो समबहुभुज के अन्दर आता है। समान n भुजा वाले बहुभुज का आन्तरिक (interior) कोण 180 (n-2)/n अंश ( degrees) होता है जो कि केन्द्र पर बने वृत्तांश (sector) का भी कोण है।
अत: एक वृत्तांश का क्षेत्रफल
जहाँ
तथा
a
'' सभी n वृत्तांशों का क्षेत्रफल होगा इस प्रकार ( 10 ) और (19) से
तथा
कौमुदी ( IV, 15 ) में समबहुभुज के क्षेत्रफल निकालने नियम ( 10 ) से मिलता है। अतः कहा जा सकता है (6) का सरलीकरण किया और विवरण के लिये 1992 1 का पृष्ठ 50 देखें |
ग
Jain Education International
=
(r).180(n-2)/360.n
3a2 (n-2)/8n............
2r,
= 3 (व्यावहारिक मान)
322 (1-2)/8
K
-
=
+ dn
B = A - K = a2 (2n2-11n + 18)/24
(20)
B/A =
(2n2 11n 18 ) /2n (n-1)
(21)
समबहुभुजों में वर्ग (n 4) का विवेचन अत्यन्त सरल और सीधा है। महावीर को इस संबंध में निम्नलिखित स्फुट (exact) सूत्र ज्ञात था (ग.सा.सं. VII, 82-2) -
B1 = 42-2
(22)
= a2 - 3a2/4
= a 2/4 = A/4
)
=
जो कि उनका सूत्र ( 7 मान 1/4 आता है। (n n 5 लिया जाये तो
ही है। समीकरण ( 21 ) से भी n 4 लेने पर, = 3 से भी यही मान आता है। ) । लेकिन यदि (
=
( 3 लेने पर )
=
(11) और (12) देने में नारायण का आधारभूत ध्यान पंचभुज (n व्यापक सूत्र ( 21 ) से यह स्पष्ट है कि B/A का मान सदा न होगा। अधिक जानकारी के लिये संलग्न सारणी (Table) देखें ।
अर्हत् वचन 14 (1) 2002
(15)
(16)
(17)
(18)
(19)
B/A = 13/40 = 1/3 (लगभग)
(24)
जो कि नारायण ने अपने सूत्र ( 12 ) में लिया है अतः ऐसा प्रतीत होता है कि सूत्र
For Private & Personal Use Only
(23)
B/A का 21 ) में
= 5) पर था। वैसे 1/4 और नाही 1/3
63
www.jainelibrary.org