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'अहिंसा' शीर्षक श्रेष्ठ पुस्तक पर रु. 51,000/- के पुरस्कार की घोषणा
श्री दिगम्बर जैन साहित्य संरक्षण समिति, दिल्ली द्वारा भगवान महावीर के 2600 वें जन्म कल्याणक महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में भगवान महावीर के मूल सिद्धान्त 'अहिंसा' शीर्षक पर श्रेष्ठ पुस्तक पर रु. 51,000/- का पुरस्कार प्रदान किया जायेगा पुस्तक के सृजन में इच्छुक विद्वत्ज़न निम्न पते पर सम्पर्क करें। यह पुरस्कार वर्ष 2003 में आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के पावन सान्निध्य में प्रदान किया जायेगा। विशेष जानकारी के लिये निम्न पते पर पत्र व्यवहार करें श्री शिखरचन्द जैन / श्री प्रवीणकुमार जैन
श्री दिगम्बर जैन साहित्य / संस्कृति संरक्षण समिति डी- 302, विवेक विहार, दिल्ली 110065
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लन्दन विश्वविद्यालय के जैन विद्या अध्ययन विभाग में कर्मशाला
लन्दन विश्वविद्यालय के पूर्वी तथा अफ्रीकी अध्ययन केन्द्र ने जैन अध्ययन विभाग में मार्च 2002 में 'जैन विद्या के विविध पक्ष' पर एक कर्मशाला तथा विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किये गये इसमें 5 देशों के नौ विद्वानों ने 'श्वेताम्बर साधु साध्वियों के आचरण', 'जैन अवधारणाओं में भ्रूण परिवर्तन' 'खजुराहो' तथा 'करुणा' पर 45-45 मिनिट के शोधपत्र पढ़े और प्रश्नोत्तरी में विविध समाधान किये डॉ. कोर्ट ने तारण स्वामी पर विशेष भाषण दिया इस कर्मशाला में भारत की ओर से रीवां के डॉ. नन्दलाल जैन भी सम्मिलित हुए। अपने शोधपत्र के अतिरिक्त उन्होंने 'जैनधर्म और विज्ञान' तथा 'अकलंक और तत्वार्थ सूत्र पर भी व्याख्यान दिये।
■ डॉ. नंदलाल जैन, रींवा
डॉ. राजाराम जैन राष्ट्रपति सहस्राब्दी पुरस्कार सम्मान से सम्मानित
गत 6 फरवरी 2002 को प्रो. डॉ. राजाराम जैन, आरा (बिहार), मानद निदेशक श्री कुन्दकुन्द भारती शोध संस्थान, नई दिल्ली को राष्ट्रपति भवन के अशोक सभागार में राष्ट्रपति सहस्राब्दी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्राकृत, जैन विद्या एवं दुर्लभ प्राकृत अपभ्रंश पांडुलिपियों के श्रमसाध्य एवं धैर्यसाध्य सम्पादन कार्यों का मूल्यांकन कर भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित करने का गतवर्ष निर्णय लिया था अपने क्षेत्र का यह भारत का सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की ओर से बधाई।
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अहमदाबाद में तीन विद्वानों का विशिष्ट सम्मान
संबोधि संस्थान एवं बाबूलाल अमृतलाल चेरिटेबल ट्रस्ट, अहमदाबाद के तत्त्वावधान में भाईकाका भवन में सन्निष्ठ विद्वानों को पुरस्कृत करने का सुंदर कार्यक्रम दिनांक 2.12.01 को आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में गुजराती के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार श्री भोलाभाई पटेल एवं अतिथिविशेष के रूप में श्री कुलीनचन्द्र भाई याज्ञिक (पूर्व कुलपति) विराजमान थे। समारोह में प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषा के प्रखर विद्वान् श्री रमणीकभाई एम. शाह ( अहमदाबाद) को रु.31,000/-, शाल एवं सुन्दर कलात्मक प्रशस्तिपत्र तथा जैन श्रमण परम्परा में गच्छों की उत्पत्ति एवं विकास के बारे में अनूठा संशोधन करने वाले डॉ. शिवप्रसाद (बनारस) को संबोधि संस्थान की ओर से रु. 11,000/- शाल एवं सुन्दर कलात्मक प्रशस्तिपत्र समारोह के अध्यक्ष एवं अतिथिविशेष के हाथों अर्पण किये गये। प्राचीन जिन प्रतिमाएँ एवं प्राचीन जैन साहित्य पर दीर्घकालीन संशोधन करने वाले बैंगलोर के मेधावी विद्वान् हम्पा नागराजैय्या को बाबूलाल अमृतलाल शाह चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से श्री उमी भाई ने 'बाहुबली सुवर्ण चन्द्रक एवं प्रशस्तिपत्र अर्पण किया। पुरस्कृत विद्वानों को बधाई।
अर्हत् वचन, 14 (1), 2002
■ गोपाल प्रसाद
व्याख्याता प्राकृत विभाग, आरा
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