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वर्धमान मेडिकल कॉलेज की स्थापना
जीवनशैली ठीक हो तो चिकित्सा की जरूरत ही नहीं पड़ती
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 3 दशक के बाद वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन 17 दिसम्बर 2001 को प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी बाजपेयी द्वारा किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय गृहमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री डॉ. सी.पी. ठाकुर एवं अनेक चिकित्सक और जैन समाज के गणमान्य अतिथि मौजूद थे। टाइम्स फाउण्डेशन की अध्यक्ष साहू श्रीमती इन्दु जैन के नेतृत्व में जैन समाज ने इस कॉलेज का नाम वर्धमान महावीर के नाम पर रखने के लिये विशेष प्रयास किये थे डॉ. सी. पी. ठाकुर ने महावीर के 2600 वें जन्मोत्सव का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं महोत्सव समिति के अध्यक्ष है इसलिये इस कॉलेज के साथ वर्धमान महावीर का नाम जोडना श्रेयस्कर समझा गया। महावीर ने ही 'जीओ और जीने दो का मंत्र दिया था, जो कि मेडिकल कालेज और अस्पताल की भावनाओं के अनुरूप है। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि जैन समाज ने इस अस्पताल के साथ एक धर्मशाला बनाने का भी प्रस्ताव रखा है जिसमें कि भोजन की भी व्यवस्था होगी। भगवान महावीर के नाम पर कॉलेज का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्रीजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि नाम रखना आसान है लेकिन नाम के अनुरूप काम करना एक चुनौती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्धमान महावीर के नाम से बनाया गया यह कॉलेज अन्य कॉलेजों से कुछ विशिष्ट होगा और अपने नाम को सार्थक करेगा। श्री बाजपेयी ने अपने चिर परिचित मनोविनोद स्वभाव से चुटकी लेते हुए देश के एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंस के सम्मुख स्थापित इस मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक समुदाय को झकझोरते हुए कहा कि 'घर ले लिया है तेरे घर के सामने', इसलिये अब इसकी इज्जत बढ़नी चाहिये । प्रधानमंत्री ने चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान और खोजों पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में जितना अनुसंधान होना चाहिये था उसकी ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि वह यह भी जानते हैं कि देश में अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों के सम्मुख जनता को चिकित्सा सुविधा जुटाना एक प्राथमिक आवश्यकता है लेकिन यह भी उतना ही जरूरी है कि भारतीय मेडिकल कॉलेज और अस्पताल विश्व प्रतियोगिता में अपना स्थान बना सकें। इस अवसर पर श्री आडवाणी ने कहा कि इस कॉलेज के नाम के साथ वर्धमान महावीर का नाम जोड़ना भले ही अत्यंत महत्वपूर्ण है लेकिन भगवान महावीर की शिक्षा यही बताती है कि जीवन शैली ठीक हो तो चिकित्सा की जरूरत ही नहीं पड़ती। भगवान महावीर का कहना था कि जीवन शैली शुद्ध होनी चाहिये ।
'परिणय प्रतीक' पत्रिका के श्री पाटनी प्रधान सम्पादक एवं श्री बागड़िया संपादक बने
दिगम्बर जैन महासमिति द्वारा स्थापित दिगम्बर जैन मेरेज ब्यूरो की मासिक पत्रिका 'परिणय प्रतीक' के प्रधान सम्पादक श्री माणिकचन्द जैन पाटनी व सम्पादक श्री पवनकुमार बागड़िया बने।
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दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय महामंत्री एवं परिणय प्रतीक के प्रकाशक श्री पाटनी एम. कॉम., एलएल.बी., साहित्यरत्न हैं तथा भगवान महावीर 2600 वाँ जन्मजयंती महोत्सव की केन्द्रीय समिति के सदस्य, मध्यप्रदेश प्रांतीय समिति के कार्याध्यक्ष एवं इन्दौर जिला समिति के परामर्शदाता के रूप में अपनी सेवायें दे रहे हैं।
श्री बागड़िया दिगम्बर जैन महासमिति मध्यांचल के युवा प्रकोष्ठ के मंत्री है तथा दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप तथा हूमड़ जैन समाज की अनेक संस्थाओं में पदाधिकारी है एवं हमड़ मित्र पत्रिका व हूमड़ संदेश समाचार पत्र के सम्पादक मंडल के सदस्य हैं।
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अर्हत् वचन, 14 (1), 2002
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