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________________ पत्र में लेख SHARRESTERIE अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर इन्दौर की देन - महात्मा गांधी लेन - रामजीत जैन* चलो चलें उस मार्ग पर जो भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर है। महात्मा गांधी राष्ट्रपिता ही नहीं, राष्ट्र संत, राष्ट्र उन्नायक एवं शांति पथ प्रदर्शक एवं अहिंसा एवं सत्य के पुजारी थे। उन्होंने अहिंसा के सिद्धान्त की प्रतिष्ठा को गौरवान्वित किया। इन्दौर नगर ने तदनुरूप ही महात्मा गांधी मार्ग नाम को सार्थक किया और यही नहीं उनके सिद्धान्तों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है और किया जा रहा है। इस मार्ग पर स्थित एक संस्था है दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम जो ज्ञान मार्ग में अनवरत प्रयत्नशील है। उदासीन आश्रम से तात्पर्य उदासीनता नहीं वरन् उदासीनता को दूर कर सद् प्रयत्नता में रहना है और वे सद् प्रयत्न हैं सद् ज्ञान, सद् संस्कृति की वृद्धि। सद कार्यों के लिये सट व्यक्ति अगर मिले तो सोने में सहागा होता है। इस उदासीन आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल, सौम्य प्रकृति, सरल स्वभाव, वैभव सम्पन्न एवं समृद्धिता के होते हुए भी सादा जीवन जिनकी परिचर्या हैं। हृदय में करुणा भाव समेटे हुए संलग्न हैं, कार्यरत हैं ज्ञानमार्ग को विकसित करने, प्राप्त स्रोतों का सदुपयोग करने एवं नवीन स्रोतों की तलाश में, और जिनको मार्गदर्शन प्राप्त है पं. नाथूलालजी जैन शास्त्री का जो ज्ञान एवं वय में वयोवृद्ध हैं, परन्तु कार्य में नवयौवन प्राप्त है। इस उदासीन आश्रम के अन्तर्गत शोध संस्थान के रूप में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की स्थापना हुई है। कार्य की प्रगति एवं सफलता का मापदण्ड है परीक्षा और परीक्षा बोर्ड के निर्देशक हैं देश के मूर्धन्य विद्वान, संहिता सूरि पंडित नाथूलालजी जैन शास्त्री। ज्ञान मार्ग तलाशने एवं विकसित करने के लिये आवश्यकता होती है पुस्तकों की, और इस हेतु एक वृहद सन्दर्भ ग्रंथालय की स्थापना की गई है। ज्ञान के प्रचार-प्रसार एवं शोध के विषयों में जानकारी देने के लिये वर्तमान युग में पत्रिकाओं का अमूल्य योगदान है। इस दृष्टि से एक शोध पूर्ण पत्रिका 'अर्हत् वचन' प्रकाशित होती है, जिसमें देश-विदेश के विद्वानों के निबन्ध होते हैं और यह पत्रिका देश-विदेश में जाती है। इसका सम्पादन एक योग्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है और वह व्यक्ति है डॉ. अनुपम जैन। इस व्यक्ति की योग्यता ने 'अर्हत् वचन' का ऐसा सुन्दर रूप दिया है जो प्रशंसनीय है। कन्दकन्द ज्ञानपीठ द्वारा व्याख्यानमालाओं का आयोजन होता रहता है। अर्हत वचन के लेखकों को पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया जाता है। विशेष बात यह है कि प्रत्येक कार्य एवं विभाग के लिये सलाहकार मंडल बनाया हुआ है जिसमें विशिष्ट योग्य व्यक्तियों का समावेश है। इसके निदेशक मंडल के अध्यक्ष हैं प्रो. नवीन सी. जैन। 18 अक्टूबर 1987 को स्थापित कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ अपने काल का एक दशक पूर्ण कर चुका है। इस सफलता के मूल में बीज के रूप में हैं श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल - अध्यक्ष एवं डॉ. अनुपम जैन-सचिव। हमारी शुभकामना एवं निश्चित भावना है कि इस दस के अंक में एक बिन्दी ये हमारे मूल बीज रूप बढ़ायें। इसी भावना के साथ ...... * एडवोकेट, दाना ओली, टकसाल गली, लश्कर - ग्वालियर अर्हत् वचन, अप्रैल 99
SR No.526542
Book TitleArhat Vachan 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size23 MB
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