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________________ से ग्राम कमेटी के प्रत्येक व्यक्ति से मिलें एवं उनकी समस्याओं को ध्यान से सुनें एवं उन्हें सुलझाने के लिये ठोस प्रयत्न करें। 11. सराक क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिये एवं वहाँ पर कार्य करने के लिये महिलाओं की टीम बनाना भी आवश्यक है। ये दो प्रकार से हो सकती हैं। एक तो आल-डण्डिया स्तर पर यानी कि बहुत सी पढ़ी लिखी बोल्ड लेडी जो सेवा कार्य करके अपने खाली समय का सदुपयोग करना चाहती हैं। ऐसी महिलाओं एवं लड़कियों की एक टीम हो जो साल में 15 दिन एवं एक माह सेवा कार्य कर सकें। दूसरे रूप में अपने व आसपास के गाँवों में जाकर के बच्चों को बड़ी लडकियों को एवं महिलाओं को पढ़ायें तो हमारा उद्देश्य बहुत शीघ्र पूरा हो सकता है। ईसाई मिशनरीज भी आदिवासी इलाकों में इसी प्रकार कार्य करती हैं। वर्तमान में हमारी सरकार ने भी प्रौढ़ शिक्षा एवं साक्षरता कार्यक्रम चलाया है जिसमें प्रत्येक गाँव की एक या दो लड़की या महिलाओं की नियुक्ति कार्यकर्ता टीचर के रूप कर देते हैं तथा उसे लगभग 200/- रु. प्रति माह वेतन भी देते हैं, उन कार्यकर्ताओं की मीटिंग ब्लाक स्तर पर प्रत्येक सप्ताह ली जाती है जिसमें वे अपनी प्रगति रिपोर्ट पेश करती हैं तथा पढ़ाई से सम्बन्धित आवश्यक साम्रगी ब्लाक से प्राप्त करती हैं। 12. चूंकि सराक क्षेत्र में अत्यधिक गरीबी है, महिलाओं को तो तन ढकने तक के लिये कपड़ा नहीं हैं, सो यदि अधिक टीम सर्वेक्षण को एक टूर मानकर सराक क्षेत्रों में जायेंगे तो सबको ये पता चल जायेगा कि हमारे सराक भाई कैसी जिन्दगी जी रहे हैं और हमें उनकी तन-मन-धन से निश्चित रूप से सहायता करनी चाहिये। इस प्रकार से यदि ठोस योजना के साथ सराक क्षेत्रों में सर्वेक्षण करके कार्य किये जायें तो वहाँ निश्चित रूप से एक नयी क्रान्ति आयेगी। प्राप्त - 7.12.98 * संघस्थ- उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज सम्प्रति Clo. श्री जे. के. जैन ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स, __ सीकर (राजस्थान) श्री गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति साहित्य पुरस्कार श्री स्यादाद महाविद्यालय, भदैनी, वाराणसी की ओर से अपने संस्थापक पूज्य गणेशप्रसाद वर्णी की स्मृति में वर्ष 1999 के पुरस्कार के लिये जैनधर्म, दर्शन, सिद्धान्त, साहित्य, समाज, संस्कृति, भाषा एवं इतिहास विषयक मौलिक, सृजनात्मक, चिंतन, अनुसंधानात्मक शास्त्री परम्परा युक्त कृति पर पुरस्कारार्थ 4 प्रतियाँ 30 अप्रैल 99 तक आमंत्रित हैं। इस पुरस्कार में 50001/- रुपे तथा प्रशस्ति पत्र दिया जायेगा। 1996 के बाद की प्रकाशित पुस्तकें इसमें शामिल की जा सकती हैं। नियमावली निम्न पते पर उपलब्ध है - डॉ. फूलचन्द जैन 'प्रेमी' संयोजक - श्री वर्णी स्मृति साहित्य पुरस्कार समिति, श्री स्वादाद महाविद्यालय, भदैनी, वाराणसी 78 अर्हत् वचन, अप्रैल 99
SR No.526542
Book TitleArhat Vachan 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size23 MB
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