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________________ अर्हत् कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर, पत्र में लेख सराक सर्वेक्षण - कतिपय तथ्य ■ ब्र. अतुल * अर्हत् वचन का जनवरी - 99 अंक पढ़ा। सराक क्षेत्र के बारे में आपने महत्वपूर्ण एवं उपयोगी जानकारी दी है। मैं यहाँ सराक क्षेत्रों के सर्वेक्षण के मध्य संकलित किये गये कतिपय निष्कर्षो को लिपिबद्ध कर रहा हूँ, इससे सराकों के बारे में रुचि रखने वाले धुओं को सुविधा रहेगी। 1. लगभग सभी सराक गाँव सड़क से काफी हटकर अन्दर हैं और रास्ता बालू मिट्टी वाला है। इस पर जाने के लिये टीम के पास जीप व एक्सपर्ट ड्राईवर होने चाहिये । 2. सर्वेक्षण का कार्य अधिक से अधिक दिन छिपने तक पूरा हो जाना चाहिये तथा उसके बाद वहीं गाँव में रुककर आराम करना चाहिये, फिर अगले दिन सुबह उठकर आगे गाँव में जाना चाहिये। 3. सुबह चलने से पहले यह निश्चित कर लेना चाहिये कि हमें आज कहाँ-कहाँ सर्वेक्षण करना है और रास्ता दिखाने एवं उनसे बात करने के लिये दुभाषिये के रूप में किसको साथ रखना है। 4. पं. बंगाल व बिहार के अधिकांश सराक गाँवों में पाठशाला में पाठ्य पुस्तकें बंगला भाषा में होनी चाहिये । 5. पाठशाला के प्रत्येक मास्टर साहब को ट्रेनिंग के बाद ही नियुक्त करना चाहिये और कम से कम तीन माह में एक शिक्षण शिविर ट्रेनिंग के रूप में एक सेन्टर में लगाना चाहिये। किसी एक गाँव में जहाँ कम से कम 10-15 गाँव के बच्चे व टीचर आराम से जाकर शिक्षण संबंधी नयी ट्रेनिंग प्राप्त कर सकें, लगाना चाहिये। 6. पाठशाला में जैन शिक्षा के साथ-साथ लौकिक शिक्षा भी अवश्य देनी चाहिये ताकि बच्चे अधिक से अधिक पढ़ाई में रूचि ले सकें। 7. प्रत्येक सराक क्षेत्र में नकद सहायता न देकर आवश्यक सामग्री खरीद कर देना ठीक रहेगा। 8. सराक क्षेत्रों के समुचित विकास के लिये सबसे अधिक आवश्यक है एक ठोस योजना की, यानी कि एक बार में 100 गाँवों में एक साथ कार्य न करके 10 गाँवों को एक साथ रखना चाहिये और उनमें ठोस कार्य करना चाहिये ताकि प्रत्येक सराक भाई बहिन, बड़ों व बच्चों में अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़े और ट्रस्ट द्वारा किये गये ठोस विकास कार्यों पर उनका विश्वास बने और उससे वे सन्तुष्ट हो सकें। ऐसा करने से अन्य दूसरे गाँवों के सराक भाइयों में आधी से अधिक चेतना तो अपने आप बिना कार्य किये ही आ जायेगी। इस प्रकार से अपना का जो पवित्र उद्देश्य है उसमें शत-प्रतिशत सफलता मिलेगी। 9. सबसे पहले विकास कार्य करने के लिये उपयुक्त ठोस व संगठित सराक गाँवों को चुनना चाहिये । 10. क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को चाहिये कि वे जिस सराक क्षेत्र में जायें तो वहाँ अर्हत् वचन, अप्रैल 99 77
SR No.526542
Book TitleArhat Vachan 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size23 MB
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