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________________ कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर का प्रकल्प सन्दर्भ ग्रन्थालय आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दि महोत्सव वर्ष के सन्दर्भ में 1987 में स्थापित कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ ने एक महत्वपर्ण प्रकल्प के रूप में भारतीय विद्याओं विशेषतः जैन विद्याओं के अध्येताओं की सुविधा हेतु देश के मध्य में अवस्थित इन्दौर नगर में एक सर्वांगपूर्ण सन्दर्भ ग्रन्थालय की स्थापना का निश्चय किया। ___ हमारी योजना है कि आधुनिक रीति से दाशमिक पद्धत्ति से वर्गीकृत किये गये इस पुस्तकालय में जैन विद्या के किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले अध्येताओं को सभी सम्बद्ध ग्रन्थ / शोध पत्र एक ही स्थल पर उपलब्ध हो जायें। इस क्रम में हमने ऐलक पन्नालाल सरस्वती भवन, ब्यावर एवं उज्जैन तथा इन्दौर के कतिपय शास्त्र भंडारों के सूची - पत्र प्राप्त कर कार्ड बनवा लिये हैं। इसी कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के माध्यम से हम यहाँ जैन विद्याओं से सम्बद्ध विभिन्न विषयों पर हो वाली शोध के सन्दर्भ में समस्त सूचनाएँ अद्यतन उपलब्ध कराना चाहते हैं। इससे जैन विद्याओं के शोध में रूचि रखने वालों को प्रथम चरण में ही हतोत्साहित होने एवं पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा। केवल इतना ही नहीं, हमारी योजना दुर्लभ पांडुलिपियों की खोज, मूल अथवा उनकी छाया प्रतियों/ माइक्रो फिल्मों के संकलन की भी है। इन विचारों को मूर्तरूप देने हेतु दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम, 584, महात्मा गांधी मार्ग, इन्दौर पर नवीन पुस्तकालय भवन का निर्माण किया गया है। 31 मार्च 1999 तक पुस्तकालय में 6400 महत्वपूर्ण ग्रन्थों एवं 1000 पांडुलिपियों का संकलन हो चुका है। जिसमें अनेक दुर्लभ ग्रन्थों की फोटो प्रतियाँ भी सम्मिलित हैं। समस्त पुस्तकों के ग्रन्थानुक्रम से इन्डेक्स कार्ड भी बनाये जा चुके हैं। पुस्तकालय के कम्प्यूटरीकरण का कार्य भी प्रगति पर है। हमारे पुस्तकालय में लगभग अनेकों पत्र-पत्रिकाएँ भी नियमित रूप से आती हैं। आपसे अनुरोध है कि - संस्थाओं से : 1. अपनी संस्था के प्रकाशनों की 1-1 प्रति पुस्तकालय को प्रेषित करें। 2. अपने शास्त्र भंडार में संग्रहीत अप्रकाशित ग्रन्थों की सूची प्रेषित करने का कष्ट करें। लेखकों से : 3. अपनी कृतियों (पुस्तकों / लेखों) की सूची प्रेषित करें, जिससे उनको पुस्तकालय में उपलब्ध किया जा सके। ___4. जैन विद्या के क्षेत्र में होने वाली नवीनतम शोधों की सूचनाएँ प्रेषित करें दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम परिसर में ही पुस्तक विक्रय केन्द्र की स्थापना की गई है। सन्दर्भ ग्रंथालय में प्राप्त होने वाली कृतियों को प्रकाशकों के अनुरोध पर बिक्री केन्द्र पर बिक्री की जाने वाली पुस्तकों की नमूना प्रति के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। आवश्यकतानुसार नमूना प्रति के आधार पर अधिक प्रतियों के आर्डर दिये जायेंगे। देवकुमारसिंह कासलीवाल डॉ. अनुपम जैन अध्यक्ष मानद सचिव 31.3.99 56 अर्हत् वचन, अप्रैल 99
SR No.526542
Book TitleArhat Vachan 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size23 MB
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