SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (म.प्र.)। सभी को एक बार इस स्थल पर अवश्य जाना चाहिये। पुराने अतिथिग्रह एवं नवनिर्माण एकसाथ सन्दर्भ ग्रन्थ1. महापुराण, आचार्य जिनसेन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 2. भगवान ऋषभदेव, पं. कैलाशचन्द शास्त्री 3. आदि तीर्थकर भगवान ऋषभदेव, पं. बलभद्र जैन 4. हिमालय में दिगम्बर जैन मुनि, श्रीपाल जैन 5. सूत्रकृतांग, श्वेताम्बर जैन परम्परा में मान्य 11 अंगों में से द्वितीय अंग सन्दर्भ स्थल - 1. आदिपुराण, जिनसेन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 2. वही 3. सूत्रकृतांग, गाथा 12 - 13 4. निर्वाण कांड, संस्कृत 5. कालिदास, कुमार संभव 6. आचार्य जिनसेन, महापुराण, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 7. हरिवंश पुराण एवं पद्म पुराण, 8. श्रीमद् भागवत, 9. कल्याण, गीता प्रेस, गोरखपुर, तीर्थांक, 31(1), 10. प्राचीन जैन ग्रन्थों में भगवान आदिनाथ की निर्वाण भूमि के रूप में अष्टापद कैलाश का उल्लेख है। बद्रीनाथ में निर्मित जैन धर्मशाला, गेस्ट हाउस एवं आराधना स्थल निर्मित है। यहाँ स्थापित भगवान के प्राचीन चरणचिन्ह निर्वाण भूमि के प्रतीक स्वरूप हैं। इस पर्वतमाला में वास्तविक निर्वाण स्थल स्थित है, किन्तु स्थल की सही पहचान लगभग असंभव है, अत: प्रतीक स्वरूप बद्रीनाथ में निर्वाणस्थली बनाई गई है। इसी स्थल पर निर्वाण भूमि होने का दावा नहीं है। 11. भक्तामर स्तोत्र, आचार्य मानतुंग, ज्ञानपीठ पूजांजलि, दिल्ली प्राप्त -8.10.98 अर्हत् वचन, अप्रैल 99 57
SR No.526542
Book TitleArhat Vachan 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy