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लिए ऊपरी हिस्से में दिखाए गये हैं। इस प्रतिमा के बाएं हिस्से में सिर विहीन तीर्थंकर प्रतिमा का अंकन है। तीर्थंकर के बाजु में सहायक हैं। प्रभामण्डल सादा, ऊपर विद्याधर हैं जो हाथों में हार लिए हैं।
चक्रेश्वरी देवी और तीर्थ के मध्य में 2 क्षैतिज कतार हैं जिनके ऊपरी पंक्ति में 4 जिन स्थानक मुद्रा में प्रदर्शित हैं इनके ऊपर लताओं की पट्टी हैं। निचली पंक्ति में ग्रहों को चित्रित किया गया है जो बांए हाथ में कलश लिए हैं। दायां हाथ अभयमुद्रा में उठा है। द्वार स्तंभ का यह भाग कला एवं वैशिष्टता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। प्रतिमा सीरोन खुर्द से लगभग 11 वीं शती की प्राप्ति है। (5) पद्मप्रभनाथ -
यह प्रतिमा छतरपुर मध्यप्रदेश से लगभग 12 वीं शती की प्राप्त हुई है। प्रतिमा स्थानक मुद्रा में प्रदर्शित है। उनके हाथ एवं कान लम्बवत् हैं। देव की दाहिने हाथ में कमल लिए दिखाया गया है। सादा प्रभामण्डल युक्त प्रतिमा के दोनों और चँवरचारी पुरुषों का अंकन है। चरण चौकी पर दो पंक्तियों का लेख अंकित है जो अस्पष्ट है। प्रतिमा के प्रभामण्डल का बायाँ भाग, नाक एवं बांयी भुजा की हथेली खण्डित अवस्था में है।' (6) नेमिनाथ -
प्रतिमा स्थानक मुद्रा में है - वक्ष पर श्री वत्स अंकित हैं उनका लांछन मकर और हाथी दोनों और नीचे दृष्टव्य है। प्रभा चक्र के बाएं में विद्याधर का अंकन है। प्रतिमा के ऊपरी भाग को छत्र के रूप में उकेरा गया है। छत्र से एक वृक्ष की पत्ती जुड़ी है जो बौघि वृक्ष को दर्शाती है। कला की दृष्टि से अनुपम कृति है जो मैहर, मध्यप्रदेश से लगभग 12 वीं शती में प्राप्त हुई है। ० (देखें चित्र - 2) (7) अम्बिका -
अम्बिका, जो नेमिनाथ की यक्षी हैं, ललितासन मुद्रा में बैठी हैं, प्रभामण्डल सादा " है, ऊपरी भाग में आम्रवृक्ष का उत्कीर्णन है, आमवृक्ष के दोनों और विद्याधर भी प्रदर्शित हैं, प्रतिमा के ऊपरी भाग में ही नेमिनाथ की सिर विहीन प्रतिमा का भी अंकन है। अम्बिका
र हार, स्तनहार, बाजबंद, कर धन, अधोवस्त्र धारण किए है। अम्बिका की गोद में उनका बड़ा पुत्र शुंभकर बैठा है। अम्बिका के बाएं हाथ के पास उनके छोटे पुत्र प्रभाकर को प्रदर्शित किया है। वेदिका के नीचे सिंह का अंकन है। दाएं भाग में एक दानी बैठा प्रदर्शित है। प्रतिमा मैहर मध्यप्रदेश से लगभग 11-12 वीं शती की प्राप्ति है। 11 (देखें चित्र - 3) (8) पार्श्वनाथ -
स्थानक मुद्रा में लम्बी भुजाएं, हथेली पर कमल चिन्ह, कान लटके हुए लम्बवत्, श्रीवत्स वक्ष पर अंकित है। गले और नाभि के नीचे चार - चार रेखाए पुष्टिदर्शक हैं। सप्तफण वाले प्रभामण्डल से युक्त प्रतिमा के दोनों और चंवरधारी पुरुषाकृति का अंकन है। तीर्थंकर चिन्ह वेदिका के नीचे अंकित है। चरण चौकी पर कुछ अभिलिखित भी है जो -
(क) संवत् 1253 आषाढ़ सुदि 5 रवौनावराश्रये (ख) साधुजाल्व्ह मगिनीवाल्हा नित्य प्रणमति
यह प्रतिमा हमीरपुर से प्राप्त हुई है। 12 (देखें चित्र - 4) (७) पार्श्वनाथ - अर्हत् वचन, अप्रैल 99