________________
4. अग्रोहा -
अग्रवालों को लोहिताचार्य ने प्रतिबोधित कर दीक्षित किया था। आजकल अग्रोहा की खुदाई में बहुत पुरातत्व सामग्री प्राप्त हुई है। एक दरवाजे का ऊपरी भाग प्राप्त हुआ है, जो संभवत: किसी मंदिर का भाग रहा हो। उस पर भगवान नेमिनाथजी की सुन्दर प्रतिमा अंकित है। यह मूर्ति आजकल हरियाणा पुरातत्व विभाग चण्डीगढ़ में देखी जा सकती
5. थानेश्वर (कुरुक्षेत्र) -
कुरुक्षेत्र या थानेश्वर के स्थल का सम्बन्ध भगवान महावीर से भी रहा है। भगवान महावीर तपस्या काल में धूणाक सन्निवेश पधारे थे। यह स्थल गीता स्थल के नाम से प्रसिद्ध है। यहां एक तीर्थंकर का सिर प्राप्त हआ है। इस के समय का अंदाजा नहीं लगता, पर यह भूरे पत्थर का है। यह कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में रखा है। 6. अस्थलवोहल -
अगर आपको विशाल खड़ी कायोत्सर्ग श्वेताम्बर प्रतिमाओं का भण्डार देखना हो तो आप देहली - रोहतक रोड़ पर एक नाथ सम्प्रदाय के डेरे में देख सकते हैं। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमाओं के अतिरिक्त अन्य किसी तीर्थंकर को पहचानना मुश्किल है। यहाँ से 6 कि.मी. पर एक अन्य गाँव में जैन प्रतिमाएँ प्राप्त हुई। 7. सिरसा -
यहां के सिकंदराबाद ग्राम व सिरसा से 9 से 11 वीं सदी की बहत सी जिन प्रतिमाएं उपलब्ध हुई हैं। 8. हांसी -
दिगम्बर जैन धातु प्रतिमाओं का विशाल भंडार हांसी से प्राप्त हुआ था। इसके किले में एक इमारत देखने का हमें भी सौभाग्य मिला। उसमें एक जिन मंदिर का प्रारूप भी प्राप्त होता है। हो सकता है, किले में विशाल मंदिर हो और उस की प्रतिमाएं किले में आक्रमणकारियों के भय से छुपा दी गई हों। अब ये प्रतिमाएं दिगम्बर जैन समाज, हांसी के पास हैं। यह प्रतिमाएं परिहार राजाओं के समय की हैं। 9. रानीला -
यह नया दिगम्बर जैन तीर्थ है। रानीला भिवानी के पास पड़ता है। इस गांव में 24 तीर्थंकरों का एक विशाल पट्ट निकला है, जिसके मूल में भगवान ऋषभदेव स्थापित है। चक्रेश्वरी देवी की प्रतिमा भी यहां से प्राप्त हुई है। यह प्रतिमा 8 वीं सदी की
10. अम्बाला -
यह हरियाणा का प्रसिद्ध जिला है। यहां श्वेताम्बर मंदिर के जीर्णोद्धार के समय वि.सं. 1155 की भ. नेमिनाथ की, वि.सं. 1454 की भ. वासुपूज्य की व वि.सं. 1455 की पद्मावती पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं प्राप्त हुई थी, जिसे इस मंदिर में स्थापित कर दिया गया है। मंदिर जैन बाजार में स्थित है। 11. नारनौल -
यहां 12 वीं सदी की दो विशाल तीर्थंकरों की प्रतिमाएं भूरे रंग के पत्थर की प्राप्त हुई थी, जिसके पीछे विशाल परिकर है।
अर्हत् वचन, अप्रैल 99