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________________ 9. कौटिल्य 4.121 10. स्ट्रैबो मैं. 12.28. पृ. 33, 341 11. अवस्थी शशि वही पृ. 3371 12. कौटिल्य 3.21 13. कौटिल्य 3.4, 3.3 अमोक्ष्या भर्तुकामस्य द्विषती भार्या। भार्यायाश्च भर्ती परस्परं ट्रैषान्मोक्ष: स्त्री विप्रकाराद्धा __पुरुषरचेन्मोक्षमिच्छेधया गृहीतमस्ये दधात् पुरुष विप्रकाराद्या स्त्री चेन्मोक्षमिच्छेन्नास्य यथा गृहीतं दधात्। अमोक्षा धर्म विवाहानामिति। 14. कौटिल्य 3.4, 3.61 15. स्ट्रैबो मैं. 15.1, 30, पृ. 38 डायोडोरस मैं. 19.33.34, पृ. 202-4 16. वही 5.28, पृ. 33-4, 15.62 पृ.69 17. मनुस्मृति 3.10, 77.80 यथा वायु समाश्रित्य वर्तन्ते सर्व जन्तवः। तथा गृहस्थमाश्रित्य वर्तन्ते सर्व आश्रमाः। 18. मनुस्मृति 9.130 19. वही 4.184-5 20. वही 9.90 त्रीणि वर्षाण्यु दीक्षेत् कुमारी ऋतुमती सती। उर्ध्वतु कालादेतस्माद्विन्देत् सदृशं पतिम्॥ 21. वही 9.89 काममामरणात्तिष्ठेद् गृहे कन्यर्तुमत्यपि। न चैवैनां प्रयच्छेतु गुणहीनाय कर्हिचित॥ 22. वही 26-7 23. अवस्थी शशि वही प्राचीन भारतीय समाज बिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी 1981 पृ. 377 24. मनुस्मृति 4.180 - 10.1241 25. वही 4.43 26. वही 9.2 -9 पिता रक्षति कौमारे भर्ता रक्षति यौवने। रक्षति विरे पुत्रा न स्त्री स्वातन्त्रय मर्हति। 27. मनु स्मृति 8.4161 28. वही 2.671 29. अवस्थी शाशि प्राचीन भारतीय समाज बिहार हिन्दी अकादमी 1981, पृ. 378। 30. मनुस्मृति 9.99 या रोगिणी स्यातु हिता संपन्ना चैव शीलतः। सानुज्ञाप्याधिवेत्तव्या नावमान्य च कर्हिचित्॥ 31. मनुस्मृति 5.801 31. वही 5.154 विशील: कामवृत्तो वा गुणैर्वा परिवर्जित:। उपचर्य: स्त्रिया साधा सततं देववत्पति॥ 33. वही 9.1761 34. वही 9.791 35. वही 9.59,611 36. वही 9.2591 प्राप्त - 4.7.97 अर्हत् वचन, अप्रैल 99
SR No.526542
Book TitleArhat Vachan 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size23 MB
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