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November-2019
॥४॥तुं मेरे...
॥५॥तुं मेरे...
॥६॥तुं मेरे..
॥७॥तुं मेरे...
SHRUTSAGAR वसुपूज्य केरो नंदन, जयादेवी {अ}-उअरि मराल ललना। सीति(त्त)रिधनुष तनु सोहतुं, रक्तवरण विशाल ललना नयणकमल अनिआलडां, मुख-जीत्यो पु(पू)निमचंद ललना। निलवरि दीपइ दिनकरू, जीह अमीनो कंद ललना मस्तकि मणि रयणे जड्यो, मुगर सोहि{अ} उदार ललना। कुंडल दो रवि शशि(शी) जीपता, कंठि एकाउलि हार ललना अंगि आंगी शोभती, विव(वि)धि(ध) कथिया-भाति ललना। अगर चंदन बहु महिमहि, बहुत फुलनी जाति ललना दमणो मरुउ केतकी, जु(जू)ही जाय गुलाब ललना। नर नारी बहु भगति करि, कापि का(पा)ति[ग] उदार(?) ललना तुं कामि तरूवर(कुंभ) सुरतरू, तुझ नामि हुइ जयकार ललना। वंछित-पदारथ तुझ नामि, तुं जयो जयो जगदाधार ललना अचिंत चिंतामणि तुं सही, तुं प्रभु गरीबनिवास ललना। तुझ [पद]पंकज सेवतां, वंछित सीझइ काज ललना तपगच्छगगनि दिवाकरू, श्रीविजयसेनमुनिंद ललना। गुणविजय शिष्य गुणस्तवि, हर्ष धरी आणंद ललना
॥इति ॥ __ * . *
॥८॥तुं मेरे...
॥९॥तुं मेरे...
॥१०||तुं मेरे...
॥११॥तुं मेरे..
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ग्रंथपाल
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