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SHRUTSAGAR
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October-2019 प्रत परिचय
प्रस्तुत प्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबामां हस्तप्रत क्रमांक १२८३४६ पर उपलब्ध छ । आ प्रतनी लंबाई २८ अने पहोळाई १२ छ । आ एकमात्र प्रतना आधारे आ कृतिनुं संपादन करवामां आवेलु छे । आ प्रतमां लहियाए बे कृतिओ लखी छे, जेमां शालिभद्र काव्य बीजा नंबरे छे। आ प्रतनी ऊपरनी पंक्तिओमां सामान्य प्रकारे कलात्मक मात्राओ जोवा मळे छ । प्रत पडिमात्रा अने मध्यफुल्लिका युक्त छे। अशुद्ध पाठने हटाववा हरतालनो उपयोग थयेल छे। अंक अने दंड गेरु लाल रंगथी अंकित छे । प्रतनुं लेखन सुंदर अने सुवाच्य छे। आ प्रतनी नकल आपवा बदल ज्ञानमंदिरना व्यवस्थापकोनो खूब खूब आभार ।
on श्री गुरूभ्यो नम : गोभद्र घरणि रयणि सुपनंतरि, सालिखेत्र पेखि नींद भरे । पूरव भवंतरि दिधला तणउ फल अवतरियउ सुभद्राउ घरे सालिभद्र जिसउ मान सरोवर, राजहंस लीला करतउ। बत्रीस रमणीवर कुमर मनोहर, मनवंछित सुख भोगवतउ ॥२॥सालि० आंकणी० कमल कसुंभ सुगंध लुब्धि जिसउ, भमर भमई रसिरंग रातउ। सालिभद्र सिवसुख गुणदायक, पूरबलउ भव संभरातउ ॥३॥सालि०... एक दिवसि तिणि राजग्रह नयरइं, वात अपूरब वाजीलइ। रतनकंबल वेचइ विणजारओ, दूरि दिसंतरि आविय लइ ॥४॥सालि०... श्रेणिक श्रीमुखि पूछण लागउ, एक कंबल तुम्हे किम देसउ। सवालाख सोनइ छइ सामी, जो देस्यउ तउ तुम्ह लेसउ ॥५॥सालि०... इणि सोनइ गज तुरिय ज लेस्यउ, राइ भणइ संभलि राणी। चलणा देव कहइ सुणि सामी, श्रेणिक राइ हुं कांइ परणी ॥६॥सालि०... हसति रमति चलीय उखणि(?), जारओ रतनकंबल लेइ भेटीयला। सुभद्रा कहइ, अम्ह वहू बत्रीसइ, सोल कंबल काइं आणीयला ॥७॥सालि०... सोल कांबल सुभद्राए लीधा, फाडि बत्रीस किया तिण वार। एक एक कंबल वइंहची तइं आप्या, पाइ पूछी नाख्या कूया मझार ॥८॥सालि०... रतन काबल सुभद्रा ए लीधी, चलणा सांभलियउ तिणवार। एक कंबल राजाइं नव लीधउ, जोउ रे पुरुषा अवतार ॥९॥सालि०...
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