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श्रुतसागर
अक्टूबर-२०१९ कमल कसुंभ सुगंध लुब्धि जिसउ, भमर भमई रसिरंग रातउ। सालिभद्र सिवसुख गुणदायक, पूरबलउ भव संभरातउ ॥३॥सालि०.. कथासार
पूर्वभवमां संगमना जीवे सुपात्रदान करी महान पुन्यनु उपार्जन कर्यु, तेना प्रभावे आ भवमां अपार सुख-साह्यबी अने रिद्धि सिद्धि भोगववाना योग सर्जाया। रात दिवस रंग रागमां, मोज शोख अने सुख वैभवमां महालता एवा शालिभद्र एक दिवस बधु त्यजीने संयम अंगीकार करे छे अने पराधीन दशामांथी मुक्त थवा वैराग्यना रंगे रंगाइ जाय छ।
त्यागनुं जीवन अपनावी सर्व कर्म खपावी समाधिपूर्वक पांचमा अनुत्तर विमानमां देवपणे उत्पन्न थाय छे । भविष्यमा ३३ सागरोपमनुं आयुष्य पूर्ण करी, उत्तम कुलमां जन्म लइ अने धर्मराधना करी अजर-अमर मोक्ष पदना भागी बनशे ।
शालिभद्रना जीवनमाथी ५ आश्चर्यकारक प्रसंगो तारवीने अत्रे प्रस्तुत कराय छेa) मनुष्यलोकमा रहीने स्वर्गना सुखो भोगववा। b) राजा जेवा राजा ने पण करियाणा तरीके मानवू ।
c) सोना, हीरा, माणेक जेवा अलंकारोने एक दिवस पहेरीने निर्माल्य समजीने कुवामां नांखवा।
d) शालिभद्रनी रिद्धि जोवा श्रेणिक महाराजा स्वयं तेमना घरे पधारे छे अने मान आपे छे तेमां पण अपमान लागे। _____e) अंते आ बधुं त्यजी त्यागना पंथे चाली नीकळवू अने माखण जेवी कायाने कठोर संयम जीवन द्वारा ओगाळी नाखी मोक्षनी अत्यंत निकट पहोंचवारूप सर्वार्थसिद्ध विमानना भागी बनवू. ___ कर्मे शूरा अने धर्मे पण शूरा एवा धन्ना-शालिभद्रजीनी जोडी एक आदर्श अणगार तरीके गवाय छे । पुण्य बांधता पण आवड्यु अने पुण्य त्यागता पण आवड्यु । आQ साहस कोइ विरला ज करी शके । कथा प्रसिद्ध छे एटले वधु जणावानी जरूरत रहेती नथी. कर्ता परिचय
कृतिने अंते 'भणइ मूंज' उल्लेख परथी कर्ता मूंज होवानुं अनुमान थाय छे ते सिवाय कर्ता विषे अन्य कोई माहिती प्राप्त थती नथी।
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