________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
29
SHRUTSAGAR
September-2019 पांचवें विभाग के प्रकाश २८ में ६ छेदसूत्रों के विषयों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इस ग्रंथ का प्रथम प्रकाशन ईस्वी सन् १९४७ में हुआ था। उसके लगभग ४० वर्ष पश्चात् ईस्वी सन् १९८७ में इस ग्रंथ की महत्ता एवं उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए श्री शीलचंद्रसूरिजी महाराज ने पुनः संपादन करके प्रकाशित करवाया। फिर ईस्वी सन् २०१४ में भी इसकी अन्य आवृत्ति प्रकाशित करने की आवश्यकता आ पडी, जो इस ग्रंथ की उपयोगिता सिद्ध करती है। इसका पुनः प्रकाशन जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर द्वारा वि. सं. २०७० में किया गया है। यह पुस्तक संभवतः इस शृंखला की सर्वप्रथम पुस्तक है।
४५ आगम परिचय वाचना- श्री देवेन्द्रसागरसूरिजी महाराज साहब द्वारा विक्रम संवत २०७० के अहमदाबाद के चातुर्मास में दिए गए व्याख्यानों को संकलित करके प्रकाशित किया गया है। इस ग्रंथ में ४५ आगमों का संक्षिप्त किन्तु विषयानुसार क्रमशः विवरण दिया गया है। प्रत्येक आगम का परिचय प्रारम्भ करने के पूर्व उन-उन आगमों की विशेषता बतलाने हेतु चित्र दिए गए हैं। आगमों के सार को जानने हेतु बहुत उपयोगी ग्रंथ है। इसका प्रकाशन कंचनगिरि जैन आराधना भवन, पालीताणा द्वारा वि. सं. २०७२ में किया गया है।
आगम संक्षिप्त परिचय- श्री दीपरत्नसागरजी महाराज साहब द्वारा लिखित यह ग्रंथ अपने-आप में अनुपम है। इसका कारण यह है कि इस ग्रंथ में प्रत्येक आगम का परिचय प्रारम्भ करने से पूर्व आगमपुरुष (यंत्रपट्ट) का चित्र दिया गया है, उस चित्र में सिर से पैर तक के विभिन्न अंगों एवं उसके चारों ओर अंकों के माध्यम से प्रत्येक आगम का स्थान निर्दिष्ट है। प्रत्येक आगम का संक्षिप्त परिचय देते हुए आगमों के नाम, स्कंधों, अध्ययनों, सूत्रों, गाथाओं आदि की संख्या दी गई है। इसके पश्चात् उन-उन आगमों में रहे हुए विषयों आदि का परिचय दिया गया है। इस ग्रंथ के वांचन से ४५ आगमों का संक्षिप्त किन्तु स्पष्ट परिचय प्राप्त हो जाता है। इसका प्रकाशन पार्श्वविहार जैन देरासर, ठेबा, जामनगर द्वारा वि. सं. २०७३ में किया गया है। ___ आगम विषय दर्शन (विषयानुक्रम)- श्री दीपरत्नसागरजी महाराज साहब ने प्रत्येक आगमों के विषयों की स्पष्टता हेतु इस ग्रंथ का निर्माण किया है। पूज्यश्रीजी द्वारा संपादित ४५ आगम मूल एवं उनकी टीकाएँ प्रकाशित की गई हैं। उन-उन आगमों में कौन-कौन सा विषय किस पृष्ठ पर उपलब्ध है इसकी संपूर्ण जानकारी इस ग्रंथ में दी गई है। उसके पश्चात् इस ग्रंथ में सभी आगमों के स्कंधों, उद्देशकों, अध्ययनों आदि के क्रमानुसार विषयों का प्रतिपादन किया गया है। यह ग्रंथ सभी आगमों के सूक्ष्मतम विषय की जानकारी हेतु बहुपयोगी है। इसका प्रकाशन आगम श्रुत प्रकाशन अहमदाबाद द्वारा वि. सं. २०५६ में किया गया है।
आगम परिचय वाचना- श्री जितरत्नसागरजी (राजहंस) महाराज साहब द्वारा अठवालाइन्स जैन संघ, सुरत में ४५ आगमों पर दिए गए व्याख्यानों को संग्रहित करके
For Private and Personal Use Only